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Chaitra Navratri 2021: कब से शुरू होंगे चैत्र नवरात्रि, जानिए क्यों की जाती है कलश स्थापना?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 12 Apr, 2021 03:00 PM
Chaitra Navratri 2021: कब से शुरू होंगे चैत्र नवरात्रि, जानिए क्यों की जाती है कलश स्थापना?

नौ दिन चलने वाले चैत्र नवरात्रि का पर्व शुरू होने वाला है, जो 13 अप्रैल शुरू होकर से 22 अप्रैल को समाप्त होंगे। इस पर्व में मां दुर्गा के अलग-अलग 7 स्वरूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि मां की पूजा की जाती है। मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए कुछ भक्त 2 तो कुछ पूरे 9 दिन व्रत रखते हैं। इसके अलावा चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना का भी काफी महत्व है। मान्यता है कि नवरात्रि में कलश स्थापना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

एक साल में 4 बार आती है नवरात्रि

देवी पुराण के अनुसार, नौ शक्तियों के मिलन को "नवरात्रि" कहा जाता है जो एक साल में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में 4 बार होती है। बसंत ऋतु में होने वाले को चैत्र या वासंती नवरात्र कहा जाता है जबकि शरद ऋतु व आश्विन मास में आने वाले नवरात्रि को शारदीय कहा जाता है। बाकी दो यानि गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ में आती है, जिस दौरान मां दुर्गा की 10 महाविघाओं की साधना होती है।

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नवरात्रि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

तिथि - 13 अप्रैल, 2021 (दिन मंगलवार)
शुभ मुहूर्त - सुबह 05:28 मिनट से सुबह 10:14 मिनट तक।
अवधि - 04 घंटे 15 मिनट

नवरात्रि घटस्थापना पूजा विधि

इसके लिए एक आसन पर मिट्टी का बर्तन रखें और उसमें सप्तधान्य बोएं। अब उसके ऊपर आम या अशोक के पत्तों रखें और फिर जल से भरा कलश रखकर कलावा बांधें। इसके अलावा कलश पर रखने वाले नारियल पर भी कलावा लपेटे। नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखें। घटस्थापना पूरी होने के बाद मां दुर्गा का ध्यान करें।

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क्यों करते हैं कलश स्थापना?

कलश में व्रत के आखिरी दिन तक अखंड दीप जलाया जाता है। मान्यता है कि कलश स्थापना मां अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने के लिए की जाती है। इससे घर में धन-धान्य रहता है और सुख-समृद्धि भी बना रहती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, कलश सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक होता है इसलिए सिर्फ नवरात्रि ही नहीं बल्कि कई शुभ कार्यों में इसकी स्थापना की जाती है।

बिना जल कलश रखना अशुभ

शास्त्रों के अनुसार, कलश को कभी भी बिना जल के स्थापित नहीं करना चाहिए इसलिए कलश में पानी के साथ पान के पत्ते, केसर, अक्षत, कुमकुम, सुपारी, फूल, सूत, नारियल, मौली, अनाज आदि रखा जाता है। इससे न सिर्फ घर में सुख-समृद्धि बल्कि सकारात्मक ऊर्जा भी आती है।

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