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ऐसी जगह जहां पत्थरों पर खुद ही बन गए है कई कुएं

  • Updated: 10 Aug, 2017 10:56 AM
ऐसी जगह जहां पत्थरों पर खुद ही बन गए है कई कुएं

दुनियां में बहुत सी जगहें रहस्मयी कहानियों और रोमांच से भरी पड़ी है। बहुत से लोग घूमने के लिए ऐसी ही दिलचस्प जगहों को ढूढ़ते है जहां पर उन्हें कुछ नया देखने को मिले। आज हम ऐसी ही एक जगह की बात कर रहें है जहां पर रहस्मयी ढ़ग से खुद ब खुद कुएं बन गए है। ये जगह झारखंड के हजारीबाग और चतरा जिले के बॉर्डर पर स्थित है। पत्थरों पर प्राकृतिक रूप से बने इन कुओं पर सालों भर पानी भरा रहता है। यहां पर बने कुछ कुओं की गहराई तो अभी तक पता नहीं लगाई जा सकी है। इसके अलावा इन कुओं पर पानी पीने के लिए बहुत से जानवर भी आते है।

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इस रहस्मयी जगह को झारखंड के लोग चुंदरु धाम के नाम से भी जानते है। फेमस हो चुकी इस जगह पर पर लोगों ने सूर्य मंदिर, धर्मशाला, अतिथि शाला और हवन कुंड का निर्माण करवा दिया है। धार्मिक जगह बन जाने के कारण यहां पर शादी समारोह और यज्ञ भी होते रहते है। कहा जाता है कि इस जगह पर चुंदरु बाबा की बहन की शादी हुई थी। इनकी बहन की बारात में लोग हाथी और बाघ पर सवार होकर आए थे। इसके अलावा लोगों का मानना है कि यहां पर पूजा करने के सिद्धि प्राप्त होती है। जिसके कारण ये जगहें ज्यादा मशहूर हो गई है।

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चुंदरू खावा और चुंदरू बाबा के बारे में यहां के लोगों की अलग-अलग राय है लेकिन इस बात का किसी के पास कोई ठोस आधार नहीं है। आर्किलॉजिस्ट्स इस जगह को पुरातात्विक महत्व का केंद्र बिंदु मानते है। चुंदरु नदी और टंडवा नदी के संगम को देखकर लोग रोमांचित हो जाते है। इस जगह को ज्यादातर शूटिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लोग इस जगह को धार्मिक जगह मान कर इसका आंनद उठाते है जबकि आर्किलॉजिस्ट्स इसे पुरातात्विक महत्व का केंद्र बिंदु मानते है।

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इस जगह को चुंदरू खावा के अलावा रॉक कट केव्स के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक स्थल के तौर पर पहचाने जाने वाले इस स्थल को लोग प्रकतिक के तौर पर देखने के लिए आते है न कि धार्मिक तौर पर। ये शहर चतरा जिले के टंडवा की सीमा पर स्थित है। हजारीबाग जिलाे से ये करीब 46 कि.मी की दूरी पर बना हुए है। इस रहस्मयी जगह पर पत्थरों पर प्राकृतिक रूप से कई कुएं बने हुए हैं। बारिश के दिनों में इस जगह पर जाना खतरे से खाली नहीं होता। इन दिनों यहां पर बहुत पानी भर जाता है जो किसी बाढ़ से कम नहीं होता है।

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