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एक ऐसा मंदिर जहां होती है योनि की पूजा!

  • Updated: 04 Oct, 2017 03:02 PM
एक ऐसा मंदिर जहां होती है योनि की पूजा!

असम राज्य में स्थित कामाख्या मंदिर सबसे पुराना शक्तिपीठ है, जाे देवी मां कामाख्या के लिए समर्पित है। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के दर्शन के लिए हजाराें श्रद्धालु अाते हैं। कहा जाता है कि यहां माता सति का योनिभाग गिरा था, तब से इस तीर्थस्थल पर शक्ति की पूजा योनिरूप में होती है। इस मंदिर के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। 
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जानिए कामाख्या मंदिर से जुड़ी कुछ अहम बातेंः-

- यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। यहां कोई देवी मूर्ति नहीं है, बल्कि योनि के आकार का शिलाखंड है, जिसके ऊपर लाल रंग की गेरू के घोल की धारा गिराई जाती है।

- कहा जाता है कि 16वीं सदी में इसे नष्ट कर दिया गया था, जिसके बाद बिहार के राजा नर नारायण द्वारा इसे 17वीं सदी में पुन: बनाया गया था।

- इस मंदिर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले 'अंबुवासी मेले' को कामरूपों का कुंभ कहा जाता है। इसमें देशभर के साधु और तांत्रिक हिस्सा लेते हैं। 

- मंदिर के बाहरी शिखरों पर मधुमक्खी के छ्त्ते की तरह की आकृतियां बनी हैं। इनके बाहरी भाग पर गणेश और देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हैं। मुख्य मंदिर में 7 अंडाकार शिखर है, जिनमें से प्रत्येक के ऊपर 3 सुनहरे घड़े रखे हैं।

- यहां एक योनि की आकृति की दरार है, जिससे एक फुव्वारे की तरह जल निकलता है। श्रद्धालु उस जल में पूजा करते हैं। वहां पर सांकेतिक अंग लाल कपड़े से ढंका रहता है।

- कामाख्या मां को केवल नर और काले रंग के भैंसे, बकरी, बंदर, कछुए इत्यादि की बलि चढ़ाई जाती है। कुछ लोग कबूतर, मछली और गन्ना भी चढ़ाते हैं। 

- यह मंदिर पूरे साल भक्तों के लिए खुला रहता है। श्रद्धालु व पर्यटक हवाई हजाज या रेलगाड़ी से गुवाहाटी पहुचते हैं, जहां से वे टैक्सी लेकर मां के दर्शन के लिए जा सकते हैं। 

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