नारी डेस्क: जोड़ों का दर्द यानी ओस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) को अक्सर लोग उम्र बढ़ने से जोड़कर देखते हैं। लेकिन अब यह समस्या सिर्फ बुज़ुर्गों तक सीमित नहीं है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह बीमारी महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से फैल रही है। खासकर मेनोपॉज के बाद महिलाओं में इसके केस बढ़ जाते हैं।
महिलाओं में जोड़ों के दर्द का कारण
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं। इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर गिरने लगता है, जो हड्डियों और जोड़ की मजबूती के लिए बेहद जरूरी है। महिलाओं की मांसपेशियां पुरुषों की तुलना में कमजोर होती हैं और उनके जोड़ अधिक लचीले होते हैं। इसी वजह से हड्डियों और कार्टिलेज पर दबाव ज्यादा पड़ता है। इसके कारण ओस्टियोआर्थराइटिस का खतरा महिलाओं में पुरुषों से कहीं ज्यादा होता है।

मेनोपॉज और मोटापे का असर
मेनोपॉज के बाद कई महिलाओं में वजन बढ़ने लगता है। शरीर का यह अतिरिक्त बोझ सीधे घुटनों और हिप जॉइंट्स पर दबाव डालता है। धीरे-धीरे यह दबाव हड्डियों को कमजोर करता है और जोड़ों में दर्द बढ़ाने लगता है।इसके अलावा, परिवार में अगर पहले से किसी को ओस्टियोआर्थराइटिस की समस्या रही है, तो आनुवांशिक कारण भी महिलाओं में इसे बढ़ा सकते हैं।
महिलाओं में जोड़ों की समस्या के लक्षण
ओस्टियोआर्थराइटिस धीरे-धीरे बढ़ने वाली समस्या है। इसके शुरुआती लक्षण अक्सर हल्के होते हैं, लेकिन समय पर ध्यान न देने से यह गंभीर हो सकती है।
जोड़ों में लगातार दर्द रहना, उठते-बैठते समय अकड़न महसूस होना, घुटनों और कूल्हों में सूजन आना। सुबह के समय जोड़ कठोर महसूस होना रोजमर्रा के काम जैसे चलना, सीढ़ियां चढ़ना मुश्किल होना। जब स्थिति बिगड़ जाती है, तो चलना-फिरना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है और क्वालिटी ऑफ लाइफ पर असर पड़ता है।
बचाव के तरीके
जोड़ों का दर्द पूरी तरह रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन कुछ आदतें अपनाकर इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है। वजन कंट्रोल रखें वजन ज्यादा होने पर घुटनों और हिप जॉइंट्स पर दबाव बढ़ता है। वजन नियंत्रित रहने से जोड़ों पर बोझ कम पड़ता है। नियमित व्यायाम करें पैदल चलना, स्विमिंग और साइकलिंग जैसी हल्की एक्सरसाइज जोड़ को लचीला बनाए रखती हैं और मांसपेशियों को मजबूत करती हैं। संतुलित आहार लें डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड, कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर चीजें शामिल करें। दूध, दही, पनीर, मछली और हरी पत्तेदार सब्जियां इसके अच्छे स्रोत हैं। जंक फूड से दूरी बनाएं प्रोसेस्ड फूड और ज्यादा शुगर हड्डियों को कमजोर करती है। सही पॉश्चर अपनाएं बैठने और खड़े होने के तरीके पर ध्यान दें। लंबे समय तक एक ही पोजीशन में न बैठें और एर्गोनोमिक सपोर्ट का इस्तेमाल करें। योग और तनाव कम करें योगासन और प्राणायाम जोड़ों को लचीला बनाते हैं। तनाव कम करने से भी शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है।

महिलाओं में जोड़ों के दर्द का इलाज
ओस्टियोआर्थराइटिस का फिलहाल कोई स्थाई इलाज नहीं है, लेकिन सही उपचार से दर्द और परेशानी को कम किया जा सकता है।
फिजियोथेरेपी और स्ट्रेचिंग – जोड़ों को लचीला बनाते हैं और दर्द कम करते हैं।
गर्म और ठंडे पैक – सूजन और अकड़न से राहत देते हैं।
दवाइयों का उपयोग – डॉक्टर की सलाह पर NSAIDs, टॉपिकल एंटी-इन्फ्लेमेटरी जेल और एनाल्जेसिक दवाइयों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इंजेक्शन थेरेपी – गंभीर मामलों में कोर्टिकोस्टेरॉइड या ह्यलुरोनिक एसिड के इंजेक्शन राहत पहुंचा सकते हैं।
महिलाओं में जोड़ों का दर्द तेजी से बढ़ता जा रहा है। समय रहते अगर लक्षण पहचानकर लाइफस्टाइल में बदलाव किए जाएं, तो इस बीमारी से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और वजन नियंत्रण महिलाओं को लंबे समय तक एक्टिव और हेल्दी बनाए रख सकते हैं।