चैत्र नवरात्रि 09 अप्रैल से शुरु होने वाले हैं। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। मां दुर्गा की पूजा के दौरान कुछ नियमों का ध्यान रखना भी जरुरी है। वास्तु शास्त्र में नवरात्रि की पूजा के नियम बताए गए हैं। नौ दिनों तक इन नियमों के अनुसार, पूजा की जाए तो पुण्य में वृद्धि होती है और मां दुर्गा की मेहरबानी बनती है। इन नियमों का पालन करने से वास्तु दोष भी दूर होता है और नेगेटिविटी खत्म होती है। तो चलिए जानते हैं कि नवरात्रि पूजा में किन वास्तु नियमों का ध्यान रखना जरुरी है।
ईशान कोण में कलश
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार पर चूना और हल्दी से बना स्वास्तिक बनाएं। इस दिन मां की प्रतिमा और कलश की स्थापना घर के ईशान कोण में करें। इस दिशा को देवी-देवताओं का स्थान माना जाता है। यहां पर कलश और तस्वीर रखने से घर में पॉजिटिविटी बढ़ती है और पूजा-पाठ में भी व्यक्ति का मन लगता है।
आरती का दीपक
नवरात्रि के नौ दिन मां की पूजा करने से पहले घी का दीपक जरुर जलाएं। इसके बाद ही पूजा अर्चना करें। यदि आप अखंड दीपक जला रहे हैं तो उसमें घी का इस्तेमाल करें। नवरात्रि के नौ दिनों तक घी का दीपक मां की प्रतिमा के बाई ओर रखें। इससे घर में बरकत आती है और मां रानी की कृपा भी बनती है।
पूजा में न इस्तेमाल करें ये रंग
इन दिनों पूजा स्थल को सजाने के लिए लाल रंग के फूल इस्तेमाल करें। वास्तु में लाल रंग को सत्ता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। मां को लाल फूल के साथ-साथ लाल कपड़े, चंदन, चुनरी का प्रयोग भी करें। भूलकर भी माता रानी की पूजा में काला रंग इस्तेमाल न करें क्योंकि मां की पूजा में यह रंग इस्तेमाल करना अशुभ माना जाता है।
आग्नेय कोण में रखें अखंड दीपक
मां की पूजा अर्चना करने से पहले पूजा स्थान को अच्छी तरह से साफ कर लें। इसके बाद गंगाजल के साथ मंदिर को पवित्र करें। यदि आप अखंड ज्योति घर में जला रहे हैं तो उसे आग्नेय कोण में रखें। यह दिशा अग्नि का प्रतिनिधित्व करती है। यहां पर अखंड दीपक जलाने से शत्रुओं पर विजय मिलती है और सुख-समृद्धि आती है।
पूजा करते हुए इस ओर हो मुख
नवरात्रि के पूजा के दौरान व्यक्ति का मुख पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए। इस ओर पूजा करने से व्यक्ति का सम्मान बढ़ता है क्योंकि यह दिशा शक्ति और शौर्य का प्रतीक मानी जाती है। मां की प्रतिमा के पीछे दुर्गा बीसा यंत्र भी बनाएं। मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से मां स्वंय उस स्थान पर विराजमान होती हैं।