कहते हैं सपने सच करने की कोई उम्र नहीं होती है आप चाहो तो किसी भी उम्र में खुद का सपना सच कर सकते हो बस आपमें कुछ करने की चाह होनी चाहिए। इस स्थिती में कुछ लोग अपने सपने को पूरा करने से पहले हार मान जाते हैं क्योंकि उनके जहन में एक ही ख्याल आता है कि लोग क्या कहेंगे? इन्हीं शब्दों के कारण न जाने कितने लोगों के सपने अधूरे रह गए हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जिसने यह दिखा दिया कि अगर कुछ करने की चाह हो तो आप किसी भी उम्र में भी खुद के सपने सच कर सकते हैं।
वी जयश्री ने 50 साल की उम्र में पास की LLB
50 साल की उम्र ...इस उम्र में लोगों के खुद के सपने कम हो जाते हैं उनका एक ही सपना रह जाता है कि उनके बच्चे तरक्की करें लेकिन वी जयश्री ने इस उम्र के पड़ाव को रास्ते में बाधा नहीं बनने दिया और 50 साल की उम्र में LLB एग्जाम पास किया। जयश्री का यह सपना बचपन का था।
आर्थिक तंगी के कराण नहीं कर पाईं ग्रेजुएशन
हर कोई चाहता है कि वह 12वीं के बाद अच्छा पड़े और अपने सपनों को पूरा करें लेकिन शायद जयश्री के लिए यह सब इतना आसान नहीं था। कईं बार हमें खुद के सपनों को पीछे रख कर हालातों को स्वीकार करना पड़ता है उसी तरह जयश्री ने भी हालातों के आगे झुकते हुए ग्रेजुएशन के बाद पढ़ाई नहीं की दरअसल आर्थिक तंगी के कारण जयश्री का यह सपना अधूरा रहा।
वकील बनने का सपना अधूरा था
बता दें कि जयश्री तिरूवनंतपुरम के वेंचियूर में जूनियर वकील के तौर पर प्रैक्टिस कर रही हैं। जयश्री की मानें तो बचपन से ही उनका सपना था वकील बनने का लेकिन पैसे न होने के कारण वह आगे पढ़ नहीं पाई क्योंकि उन्हें अपने परिवार का गुजारा भी करना था ऐसे में उनका वकील बनने का सपना अधूरा ही रह गया लेकिन फिर शादी के बाद उन्होंने इस सपने को पूरा करने की सोची और इसमें उनके परिवार वालों ने भी उनका पूरा साथ दिया।
पति का मिला पूरा सपोर्ट
आज ऐसा कईं मामलों में देखा गया है कि शादी के बाद महिलाओं को बस घर चलाने के लिए एक उपकरण समझ लिया जाता है। वो खुद के लिए नहीं बल्कि सिर्फ अपनी फेमिली के लिए जीती है और इस बीच वह खुद को कहीं न कहीं भूल जाती है लेकिन जयश्री इस मामले में बहुत भाग्यशाली रहीं क्योंकि उनके पति हमेशा यही चाहते थे कि वह पढ़े। हालांकि यह सब जयश्री के लिए आसान नहीं था। वह पढ़ाई के साथ-साथ काम भी करती और एग्जाम की तैयारी करती। उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि उनका रैंक आएगा। हालांकि केरल विश्वविधालय से तीसरे रैंक में जयश्री ने परीक्षा पास की।
वकील की वर्दी पहन कर होता है गर्व
जयश्री की इस हिम्मत से हमें भी यही सीख मिलती है कि आप अपने सपनों के पंखों को उड़ने दें और फिर देखिए एक न एक दिन वो मंजिल जरूर पा लेंगे। जयश्री का आज बचपन का सपना पूरा हुआ और वकील की वर्दी पहन कर वह बेहद मान महसूस करती हैं। आने वाले समय में वह क्रिमिनल लॉयर बनना चाहती हैं।