
नारी डेस्क: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ वन्यजीवों का आतंक भी बढ़ता जा रहा है। खासकर बाघ, गुलदार और भालू स्थानीय लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। पौड़ी जिले के पैठाणी और कल्जीखाल क्षेत्रों में एक शातिर भालू ने अब तक दर्जनों पशुओं को मार डाला है, जिससे इलाके में दहशत का माहौल है।
पैठाणी और कल्जीखाल में भालू का आतंक
पौड़ी के पैठाणी इलाके में इस भालू ने अकेले 36 पशुओं को अपना शिकार बनाया है। वहीं, कल्जीखाल में भी इस भालू ने 18 मवेशियों को मार डाला है। भालू के आतंक के चलते ग्रामीणों को रातभर जागकर अपनी जान और पशुओं की रक्षा करनी पड़ रही है। रुद्रप्रयाग जिले में भी भालू के हमले की खबरें सामने आई हैं, जहां इस जानवर ने दो महिलाओं को घायल कर दिया।
भालू का शातिर और आक्रामक व्यवहार
लोग भले ही भालू को देख न पाए हों, लेकिन इसके पंजों के निशान देखकर यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि यही वह सीरियल किलर है। यह भालू बिना किसी डर के गौशालाओं में घुसकर पशुओं का शिकार करता है और आराम से वहां से निकल जाता है। भालू के इस आक्रामक व्यवहार ने वन्यजीव विभाग को भी चौंका दिया है।
शीत निद्रा में बदलाव और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, शीत निद्रा के पहले भालू ज्यादा खाना खाते हैं ताकि शरीर में फैट जमा हो सके। लेकिन पौड़ी के पैठाणी में जो हमला हो रहा है, वह सामान्य व्यवहार से अलग है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अन्य कारणों से भालू के व्यवहार में बदलाव आया है। पहले भालू लगभग 90 दिन शीत निद्रा में रहते थे, लेकिन अब यह अवधि घटकर लगभग 45 दिन रह गई है।
वन विभाग की कोशिशें और वर्तमान हालात
वन विभाग की टीम पैठाणी और आसपास के इलाकों में गश्त कर रही है और पिंजरे भी लगाए गए हैं, लेकिन यह भालू काफी चालाक है। वह पिंजरे के आसपास भी नहीं आता और कैमरा ट्रैप में भी कैद नहीं हुआ है। इस वजह से विभाग ने भालू को गोली मारने के आदेश भी दे दिए हैं।
स्थानीय लोग और वन विभाग इस भालू के आतंक से परेशान हैं और जल्द से जल्द इसे पकड़ने या नियंत्रित करने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं ताकि इलाके में शांति बहाल हो सके।