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जब अनचाही गर्भावस्था बने परेशानी, अबॉर्शन के लिए कैसे लें सही फैसला?

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 10 Jul, 2025 12:05 PM
जब अनचाही गर्भावस्था बने परेशानी, अबॉर्शन के लिए कैसे लें सही फैसला?

नारी डेस्क: अनचाही गर्भावस्था के कारण बहुत से दंपतियों को गर्भपात कराने की जरूरत पड़ जाती है। ऐसे समय में घबराना सही नहीं होता, बल्कि अबॉर्शन की सावधानियों को समझकर सही फैसला लेना जरूरी होता है। शादीशुदा जीवन में अबॉर्शन की आवश्यकता लगभग हर दंपती को कभी न कभी पड़ सकती है। इसका मुख्य कारण यह है कि कई बार पति-पत्नी बिना सुरक्षा के सेक्स करते हैं। कई बार पति कंडोम का सही इस्तेमाल नहीं करते या कंडोम फट जाता है, जिससे गर्भधारण हो जाता है। जब दंपति अगला बच्चा नहीं चाहते, तो डॉक्टर की मदद लेकर अबॉर्शन कराना पड़ता है।

हमारे समाज में गर्भावस्था, अबॉर्शन और सेक्स को लेकर आज भी बहुत बातें छुपाई जाती हैं। इन विषयों पर खुलकर बात करना टाबू माना जाता है। इसलिए ज्यादातर मामलों में पति-पत्नी डॉक्टर के पास नहीं जाते, बल्कि पत्नी अकेले ही अपनी सहेली या रिश्तेदार के साथ डॉक्टर से मिलती है। कई बार बच्चे के जन्म के बाद पति इंटरकोर के दौरान सुरक्षा का ध्यान नहीं रखते क्योंकि उन्हें लगता है कि ब्रैस्टफीडिंग के दौरान गर्भधारण नहीं होता। यह गलत समझ है, क्योंकि बिना सुरक्षा के संबंध होने पर गर्भधारण हो सकता है।

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अबॉर्शन क्या होता है?

अबॉर्शन का मतलब है गर्भ का टूटना या भ्रूण का गर्भाशय से बाहर निकल जाना। यह आमतौर पर गर्भावस्था के पहले 20 हफ्तों में होता है। अबॉर्शन दो तरह का होता है प्राकृतिक (जिसे मिसकैरेज कहते हैं) और चिकित्सा द्वारा कराया गया (जिसे डॉक्टर के नियंत्रण में कराया जाता है)।

जब दंपति बच्चे को अभी नहीं चाहते, तो डॉक्टर के पास जाकर अबॉर्शन कराते हैं। इस प्रक्रिया को डीएनसी (डायलेटेशन एंड क्यूरेटेज) कहा जाता है। यह एक मेडिकल प्रक्रिया है जिसमें गर्भाशय को साफ किया जाता है। सही तरीके से अबॉर्शन न कराया जाए तो संक्रमण (सेप्टिक) हो सकता है, जो खतरनाक हो सकता है।

अबॉर्शन के बाद कुछ दिनों तक हल्का रक्तस्त्राव होना सामान्य है। डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के जरिए जांच करते हैं कि गर्भाशय पूरी तरह साफ हुआ है या नहीं। साथ ही, संक्रमण से बचाव के लिए दवाएं दी जाती हैं।

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अबॉर्शन का खर्च कितना होता है?

अबॉर्शन का खर्च अस्पताल और प्रक्रिया की जगह पर निर्भर करता है। सरकारी अस्पतालों में यह खर्च कम होता है, जबकि निजी अस्पतालों में यह 25,000 से 50,000 रुपए तक हो सकता है। इसमें डॉक्टर की फीस, दवाएं, अस्पताल में रुकने का खर्च और बाद की देखभाल शामिल होती है।

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कुछ बीमा योजनाएं अबॉर्शन के खर्च को कवर करती हैं, इसलिए दंपतियों को पहले अपने बीमा पॉलिसी की जांच कर लेनी चाहिए।

डॉक्टर के अनुसार

"जब पति-पत्नी बिना सुरक्षा के संबंध बनाते हैं और गर्भधारण हो जाता है, तब अबॉर्शन एक जरूरी विकल्प बन जाता है। इसे सही समय और सही तरीके से कराना चाहिए ताकि महिला की सेहत पर कोई खराब असर न पड़े।"

अनचाही गर्भावस्था की स्थिति में सही सलाह लेकर और डॉक्टर की मदद से ही अबॉर्शन कराना चाहिए। इसके साथ ही, पति-पत्नी को सेक्स के दौरान सुरक्षा के उपायों को अपनाना चाहिए ताकि अनचाहा गर्भधारण न हो और स्वास्थ्य सुरक्षित रहे। समाज में इन विषयों पर खुलकर बात करना भी जरूरी है ताकि जागरूकता बढ़े और सही फैसले लिए जा सकें।   

 


 

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