नारी डेस्क: हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे की नियमित रूप से पूजा करने से घर में सदैव समृद्धि बनी रहती है। ज्योतिष में तुलसी के पौधे को रोजाना जल चढ़ाने की सलाह भी दी जाती है, लेकिन क्या आपको ये बात मालूम है कि कुंवारी कन्याओं को तुलसी में जल चढ़ाने की मनाही होती है। हालांकि तुलसी विवाह के पावन मौके पर कुंवारी कन्याएं कुछ विशेष उपाय कर सकती हैं, जिससे विवाह में आ रही अड़चन दूर हो जाएगी।
कुंवारी कन्याओं को क्यों है जल चढ़ाने की मनाही?
दरअसल तुलसी माता भगवान विष्णु की प्रिया मानी जाती हैं और वह जलंधर नामक असुर की पत्नी थी। लेकिन देव कार्य से भगवान विष्णु को तुलसी के साथ छल करना पड़ा और तुलसी को जब सत्य का ज्ञान हुआ तो उन्होंने अपने शरीर को अग्नि में अर्पित कर दिया और उनकी राख पर तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। तुलसी का मूल नाम वृंदा है जो पतिव्रता स्त्री थी इसलिए केवल सुहागन स्त्री ही तुलसी को जल और सिंदूर अर्पित करती हैं ताकि उनका सुहाग बना रहे। इसलिए कहा जाता है कि तुलसी में कभी भी कुंवारी कन्या को जल नहीं देना चाहिए।
तुलसी विवाह पर कुंवारी कन्याएं कर सकती हैं ये उपाय
तुलसी माता की परिक्रमा: कुंवारी कन्याएं तुलसी माता की परिक्रमा करके आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं। तुलसी के पौधे की सात परिक्रमा करने से विवाह संबंधी मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद माना जाता है।
दीप प्रज्वलित करें: तुलसी के पौधे के पास शुद्ध घी या तिल के तेल का दीपक जलाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। यह सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
नोकामना मंत्र: तुलसी विवाह के दिन "ॐ तुलस्यै नमः" मंत्र का जाप करने से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
तुलसी माला का दान: तुलसी विवाह पर तुलसी की माला का दान करने से कुंवारी कन्याओं के विवाह में आ रही अड़चने दूर होती हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
महिलाओं को भोजन: कुंवारी कन्या की मां तुलसी विवाह के दिन 7 विवाहित महिलाओं को भोजन करा कर उन्हें श्रृंगार का सामान दान करती है, तो इससे भी देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
इन उपायों को करने से तुलसी माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति का संचार होता है।