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Kheer Bhawani मंदिर का चमत्कारी कुंड रंग बदल कर देता है आने वाली मुसीबत के संकेत!

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 26 May, 2023 05:22 PM
Kheer Bhawani मंदिर का चमत्कारी कुंड रंग बदल कर देता है आने वाली मुसीबत के संकेत!

देशभर में कई सारे प्राचीन मंदिर हैं, जिनका इतिहास और आस्था से जुड़ाव काफी गहरा है। देश के अलग-अलग इलाकों के ये मंदिर से जुड़ा कई सारी धार्मिक मान्यताएं हैं, जिनके दर्शन करने के लिए देश के हर हिस्से से लोग आते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है कश्मीर भवानी का मंदिर, जहां पर लोगों की गहरी धार्मिक आस्था है। आज हम आपको इस मंदिर के रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं। खीर भवानी का ये मंदिर श्रीनगर के तुलमूल गांव के पास है। ये मंदिर बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है।  देवी दुर्गा के इस मंदिर में देवी की पूजा उपासना मां रागनी के रूप में होती है। देवी खीर भवानी का यह मंदिर एक झरने के बीच में बना हुआ है जिससे चारों तरफ एक विशाल और खूबसूरत पत्थर है। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि ये मंदिर अपना रंग बदलता है और खीर की जुड़ी एक प्रथा है, जिसके चलते इस मंदिर का नाम खीर भवानी मंदिर पड़ा है। आइए जानते हैं मंदिर से जुड़ी परंपराएं और इतिहास...

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खीर भवानी से जुड़ी मान्यताएं


हिंदुओं का आस्था इस मंदिर को लेकर काफी गहरी है और इसका इतिहास भी पुराना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लंका नरेश और भगवान शिव के भक्त रावण इस देवी का भी बड़ा भक्त था। मां खीर भवानी मां रावण की भक्ति हमेशा ही प्रसन्न रहती थीं। लेकिन जब रावण ने माता सीता का हरण किया तब देवी रावण से नाराज हो गईं। देवी को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपने स्थान को ही त्याग दिया। वहीं एक और मान्यता भी है कि देवी ने भगवान   हनुमान से मूर्ति को लंका से उठाकर किसी अन्य स्थान पर स्थापित करने को कहा, जब देवी की आज्ञा का पालन करते हुए हनुमान जी मूर्ति को लंका से निकालकर कश्मीर में स्थापित कर दिया था। तभी से माता का स्थान कश्मीर हो गया और नियमित रूप से माता के भक्त यहां पर उनकी पूजा-आराधना करते आ रहे हैं। वहीं अगर इस मंदिर के निर्माण की बात करें ते इस मंदिर का निर्माण महाराजा प्रताप सिंह ने साल 1912 में करवाया था और बाद में इसका जीर्णोद्धार महाराज हरि सिंह ने कराया था।

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खीर भवानी नाम क्यों पड़ा?

कश्मीर में स्थिति यह देवी का धाम यहां के रहने वाले कश्मीरी पंडितों की कुल देवी हैं। हर साल ज्येष्ठ माह की अष्टमी तिथि को यहां पर एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। कश्मीरी हिंदू यहां पर रोज देवी की पूजा करते हुए अपनी रक्षा की प्रार्थना करते हैं। देवी दुर्गा के इस मंदिर का नाम खीर भवानी इसलिए प्रचलित हुआ क्योंकि माता को विशेष रूप से खीर का भोग लगाया जाता है। वसंत के मौसम में खीर चढ़ाई जाती है। वहीं यहां के लोग इस मंदिर को महारज्ञा देवी, राज्ञा देवी मंदिर , रजनी देवी मंदिर और राज्ञा भवानी मंदिर के नाम से भी बुलाते हैं। 

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खीर भवानी के जलकुंड का रहस्य
माता के इस मंदिर में एक कुंड स्थित है। जिसे बहुत ही चमत्कारी कुंड माना जाता है। कहा जाता है जब भी कश्मीर में कोई बड़ी आफत आने वाली होती है तब इस कुंड के पानी का रंग बदल जाता है। मुसीबत आने पर इस कुंड का पानी काला हो जाता है। जब साल 2014 में कश्मीर में भयानक बाढ़ आई थी तब यहां का पानी पहले ही काला हो गया था। 

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