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आठ महीने की प्रेग्नेंट डॉक्टर 30 किमी का फासला तय कर पहुंचती है हॉस्पिटल!

  • Edited By shipra rana,
  • Updated: 20 May, 2020 10:20 AM
आठ महीने की प्रेग्नेंट डॉक्टर 30 किमी का फासला तय कर पहुंचती है हॉस्पिटल!

मां बनने का सुख इस दुनिया का सबसे बड़ा सुख माना जाता है। अक्सर जब औरतें मां बनने वाली होती है तब उन्हें अपना डबल ध्यान रखने के लिए कहा जाता है। लेकिन आंध्रप्रदेश की एक डॉक्टर जोकि आठ महीने की प्रेग्नेंट है। वो इस कोरोना क्राइसिस में 30 किमी का फासला तय कर मरीजों की देखभाल करने पहुंचती है। 

क्यों नहीं करती आराम ?
डॉक्टर झांसी से जब पूछा गया कि वो घर पर आराम क्यों नहीं करती तो उन्होंने कहा -देवूपल्ली और आसपास के गांवों में कोई निजी क्लीनिक नहीं है, लोग पूरी तरह से पीएचसी पर निर्भर हैं। मैं पिछले डेढ़ साल से पीएचसी पर काम कर रहा हूं और लोग इस पीएचसी में स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा करते हैं।

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क्या-क्या करती है इलाज ?
अब लॉकडाउन में सबसे बड़ी समस्या ट्रांसपोर्ट की ही थी। लेकिन उन्होंने अपने मरीजों के लिए 30 किमी का फासला कम ही लगता है। वो कहती है कि 'हमने पिछले 10 दिनों में लगभग 10 गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए पीएचसी में स्थानांतरित कर दिया है।प्रसव के अलावा, बीपी, मधुमेह और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग नियमित रूप से इलाज के लिए अस्पताल आते हैं। लेकिन यह विदेशी रिटर्न करने वाले और कोरोनोवायरस लक्षणों वाले मरीज हैं जोकि एक चैलेंज से कम नहीं है। 

कोरोना टेस्ट 
डॉक्टर झांसी ने एक किस्सा सुनाया उन्होंने कहा- घरेलू संगरोध के तहत पीएचसी के दायरे में लगभग सात विदेशी रिटर्न हैं जिनकी कड़ी निगरानी की जा रही है। अस्पताल जाने वाले और गाँवों की यात्रा करने वाले व्यक्तियों में भाग लेने के दौरान, मैंने लगभग 10 लोगों में COVID -19 लक्षण पाए और उन्हें आगे COVID-19 परीक्षणों के लिए जिला अस्पताल में रेफर किया। शुक्र है वो कोरोना नेगटिव निकले। 

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प्रेग्नेंसी में कैसा रखा उन्होंने ध्यान ?
वो मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करती थी। वो अपना भी हद से ज्यादा ख्याल रखती थी। वह बॉन्डपल्ली मंडल में चार संगरोध केंद्रों से दूर रहती है।ऐसी महिलाएं जिन्होंने इस कोरोना के कहर के सामने अपने कर्म को ऊपर रखा, उन्हें भारत के हर नागरिक का सलाम।
 

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