थाईलैंड की नेशनल असेंबली (संसद) के उच्च सदन 'सीनेट' ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाले एक विधेयक को मंगलवार को भारी बहुमत के साथ मंजूरी प्रदान कर दी। इसके साथ ही थाईलैंड दक्षिण-पूर्वी एशिया में ऐसा कानून लागू करने वाला पहला देश बन गया है। सीनेट में विधेयक पर हुए मतदान के दौरान 152 सदस्य मौजूद थे, जिनमें से 130 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया जबकि चार सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया।
अब इस विधेयक को थाईलैंड के राजा महा वजिरालोंगकोर्न की औपचारिक स्वीकृति मिलने की आवश्यकता है, जिसके बाद इसे सरकारी राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा। सरकारी राजपत्र 120 दिनों के भीतर एक तिथि निर्धारित करेगा जब विधेयक कानून के रूप में लागू हो जाएगा। ताइवान और नेपाल के बाद थाईलैंड, समलैंगिक विवाह को अनुमति देने वाला एशिया का तीसरा देश बन जाएगा।
विवाह समानता विधेयक, किसी भी लिंग के विवाहित साथियों को पूर्ण कानूनी, वित्तीय और चिकित्सा अधिकार प्रदान करता है। इस विधेयक को अप्रैल में पिछले संसदीय सत्र के समापन से ठीक पहले संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने पारित कर दिया था। यह विधेयक कानून में संशोधन कर “पुरुष और महिला” और “पति और पत्नी” शब्दों को बदलकर “व्यक्ति” और “विवाह साथी” कर देगा।
थाईलैंड की, स्वीकार्यता और समावेशिता के लिए प्रतिष्ठा है, लेकिन विवाह समानता कानून पारित करने के लिए उसे दशकों से संघर्ष करना पड़ रहा है। थाईलैंड के समाज में ज्यादातर रूढ़िवादी मूल्य हैं और (एलजीबीटीक्यू) समलैंगिक समुदाय के सदस्यों का कहना है कि उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में भेदभाव का सामना करना पड़ता है।