23 DECMONDAY2024 2:19:59 AM
Nari

एशिया का सबसे ऊंचा Shiv Temple: पत्थरों से आती है डमरू की आवाज, पानी से दूर होंगे कई रोग

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 01 Mar, 2022 05:37 PM
एशिया का सबसे ऊंचा Shiv Temple: पत्थरों से आती है डमरू की आवाज, पानी से दूर होंगे कई रोग

महाशिवरात्री आने वाली है। इस दौरान लोग अलग-अलग शिव मंदिरों में भोलेनाथ के दर्शन के लिए जाते हैं। वैसे तो भारत में 12 ज्योर्तिलिंग और कईं सारे शिवालय हैं, जिनमें शिवभक्त शिवरात्री के दिन जाते हैं लेकिन आज हम आपको एशिया के सबसे ऊंचे शिवमंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां भोलेनाथ स्वंय वास करते हैं। हिमाचल प्रदेश में स्थित 'जटोली शिव मंदिर' अपने चमत्कार और शक्तियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। तो चलिए जानते हैं मंदिर के बारे में विस्तार से...

हिमाचल का सबसे मशहूर मंदिर

एशिया का यह सबसे ऊंचा शिव मंदिर हिमाचल के जिले सोलन से 7 कि.मी दूरी पर स्थित है। हर साल शिवरात्री पर हजारों के हिसाब से श्रद्धालु शिव मंदिर के दर्शन के लिए जाते हैं। इस मंदिर का मनमोहक निमार्ण किसी भवन से कम नहीं है, जोकि दक्षिण दव्रिड़ शैली से बनाया गया है। इसकी सुंदरता लोगों को आकर्षित करती है।

PunjabKesari

मंदिर की मान्यता

जटोली शिव मंदिर को बनाने में लगभग 39 साल का समय लगा था। मान्यता है कि स्वंय भोलेनाथ एक बार इस मंदिर में आकर काफी समय तक रहे थे। उसके बाद स्वामी श्रीकृष्णानंद परमहंस ने आकर वहां पर तपस्या की थी। उनकी दिशा निर्देश पर ही जटोली मंदिर का कार्य समपन्न हुआ था।

जटोली मंदिर की संरचना

इस मंदिर का गुबंद 111 फीट ऊंचा है और मंदिर में प्रवेश करने के लिए भक्तों को 100 सीढ़ियां चढ़कर भोलेनाथ के दर्शन के लिए जाना पड़ता है। मंदिर के बाहर की तरफ कईं देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के अंदर मनी से बना शिवलिंग स्थापित है। साथ ही मंदिर में माता पार्वती और भोलेनाथ की मूर्ति भी विराजमान है। इसके अलावा मंदिर के ऊपर की तरफ सोने का कलश भी रखा हुआ है।

PunjabKesari

इस मंदिर में किया था शिव जी ने त्रिशूल से वार

पौराणिक कथाओं के अनुसार, किसी समय में यहां पानी की कमी थी, जिसे दूर करने के लिए श्रीकृष्णानंद परमहंस ने शिव जी की कठोर तपस्या की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने अपने त्रिशूल से उस जगह पर प्रहार किया और वहां पानी-पानी हो गया। कहा जाता है उस दिन के बाद इस जगह पर पानी की कभी भी कमी नहीं हुई।

 

यह अनोखा मंदिर  लगातार तीन पिरामिडों से बना है, जिसके पहले पिरामिड पर भगवान गणेश की प्रतिमा , दूसरे पर शेष नाग की मूर्ति बनी हुई है। मंदिर के उत्तर-पूर्व कोने पर 'जल कुंड' बना है, जिसे पवित्र गंगा नदी का रूप माना जाता है।मान्यता है कि इस पानी में कुछ औषधीय गुण पाए जाते हैं जिससे की त्वचा में हो रहे रोगों का इलाज किया जा सकता है।

PunjabKesari

यह प्राचीन मंदिर अपने वार्षिक मेले के लिए प्रसिद्ध है, जो महाशिवरात्रि के त्योहार के दौरान आयोजित किया जाता है। मंदिर में कई भक्त प्रार्थना करने के लिए इकट्ठा होते हैं।

Related News