आजकल छींक आते ही लोग शक कि निगाहों से देखने लग जाते हैं कि कहीं उन्हें कोरोना तो नहीं। मगर, कोरोना वायरस के अलावा नॉर्मल सर्दी-खांसी, फ्लू, किसी चीज से एलर्जी, नाक में गुदगुदी या किसी और वजह से छींक आ जाती है। जबकि 90% मामलों में छींक समान्य कारणों से आती है। यह बात पक्की है कि हर छींक को ना तो किसी बीमारी से जोड़ने की जरूरत है और ना ही घबराने की।
छींक को लेकर बड़े अंधविश्वास
हालांकि कई बार लोग छींक आने पर उसे शुभ या अशुभ जैसी अंधविश्वासी बातों से भी जोड़ देते हैं। जैसे अगर घर से बाहर जाते वक्त किसी को छींक आ जाए तो उसे अशुभ माना जाता है। लेकिन किसी के पीठ-पीछे छींकना शुभ माना जाता है। वहीं, दाईं ओर छींकना शुभ और बाईं ओर छींक अशुभ माना जाता रहा है। हालांकि इन बातों का कोई आधार नहीं है और ना ही साइंस इस लॉजिक को मानता है।
छींक का आना एक साइंस
मेडिकल भाषा में कहे तो छींक आना महज एक शारीरिक रिफलैक्स एक्शन है, जिस पर किसी का जोर नहीं चल सकता। दरअसल, नाक के अंदर एक म्यूकस झिल्ली यानि मेंम्बरेन होती है। जब इस झिल्ली की नर्व्स में सूजन आती है तो खुजलाहट होने लगती है, जिसके कारण छींक जैसी आवाज आती है। अब यह सूजन सर्दी-खांसी, एलर्जी या किसी भी वजह से हो सकती है।
इन वजहों से भी होता है ऐसा
. कुछ बीमारियां जैसे साइनस, कोरोना वायरस, फ्लू के वायरस, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया , नाक का मांस बढ़ना या चोट लगना आदि के कारण भी लगातार छींकें आ सकती हैं।
. नर्व्स में असहजता महसूस या कोई पदार्थ जमा हो जाता है तब उसे बाहर निकालने के लिए भी छींक आ सकती है।
. कई बार फ्यूम्स और धूल अंदर जाने की वजह से भी बार-बार छींक आती है
. तेज रोशनी जब आंख के रेटिना से दिमाग तक जाने वाली ऑप्टिक नर्व्स या नाड़ी उत्तेजित करती है, तब भी छींक आती है।
. पालतू जानवर, कुछ फूल या फिर कुछ खाने-पीने की चीजों से परेशानी हो रही है।
. एकदम गर्म से ठंडे या ठंडे से गर्म वातावरण में आना-जाना
. मानसिक रूप से ओर्गज्म महसूस करना
अगर छींक के साथ दिखें ये लक्षण तो हो जाए सतर्क
-छींक के साथ नाक बहना
-मतली और उल्टी होना
-गले में दर्द व खांसी होना
-आंखें में सूजन, खुजली, लालपन या पानी निकलना
-बदन में हल्का दर्द होना
-हल्का-हल्का सिरदर्द होना
-मुंह के ऊपरी हिस्से, नाक या गले में खुजली होना
-थकान और बुखार
छींक का इलाज
1. शरीर को पर्याप्त आराम दें और खूब मात्रा लिक्विड डाइट जैसे 7-8 गिलास गुनगुना पानी, जूस, सूप, अदरक या तुलसी वाली चाय पीएं। साथ ही डाइट में विटामिन डी फूड्स अधिक लें।
2. पानी में तुलसी की पत्तियां या टी-ट्री ऑयल डालकर भाप लें। इसके अलावा पुदीने के तेल को गर्म पानी में मिला कर भाप ली जा सकती है।
3. धूल-मिट्टी से एलर्जी है तो घर के खिड़कियों व दरवाजों को खुला रखें और हवा को फिल्टर करने वाली मशीन लगवाएं।
4.छींक से राहत पाने के लिए एक दिन में 2-3 बार काली इलायची चबाएं। एक मुट्ठी भुनी हुई सौंफ को अदरक के साथ खाने से भी छींक ठीक हो जाएगी।
तब इस गति से बाहर निकलती है छींक
छींक एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें नाम में उन विषैले पदार्थों को हवा के झटके से बाहर निकालने की कोशिश करती हैं जिससे झिल्ली में दिक्कत होती है। कई बार छींकते समय हवा का वेग 160 कि.मी. प्रति घंटे का होता है। जब छींक के साथ शरीर में कंपन, आंखें बंद होना, सिरदर्द, महसूस हो तो यह फ्लू के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में आपको चेकअप करवाना चाहिए।
छींक को रोकना क्यों नहीं चाहिए?
-जब आप छींक को रोक देते हैं तो बाहर निकलने वाली हवा शरीर के दूसरें अंगों में फैल सकती है। कई बार हवा कान के रास्ते से बाहर निकलती है, जिससे कान के पर्दे को नुकसान हो सकती है। साथ ही इससे आंखों को भी नुकसान होता है।
- कई बार झटके से छींक मारने की वदह से गर्दन में मोच आ सकती है। जिन लोगों को हार्ट से जुड़ी बीमारी हो उन्हें हार्ट अटैक भी आ सकती है।
ऐसे में बेहतर होगा कि आप शरीर की किसी भी प्राकृतिक क्रिया को जबरदस्ती न रोके। साथ ही अगर घरेलू दवा करने से भी छींकें बंद ना हो तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।