नारी डेस्क: देशभर में श्रद्धा और भक्ति के लिए प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज को लेकर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने हाल ही में एक बड़ा और चर्चित बयान दिया है, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। कुछ लोग उनके इस बयान का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। दरअसल, रामभद्राचार्य जी ने प्रेमानंद महाराज को चमत्कारी मानने से साफ इनकार किया है।
इंटरव्यू में रामभद्राचार्य का खुला बयान
रामभद्राचार्य जी ने एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में संत प्रेमानंद महाराज पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा "अगर वो चमत्कारी हैं, तो मेरे सामने संस्कृत का एक अक्षर बोलकर दिखाएं या मेरे बोले हुए संस्कृत श्लोकों का अर्थ बता दें। मैं आज खुलकर कह रहा हूं।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि वह प्रेमानंद महाराज से किसी प्रकार की दुश्मनी नहीं रखते, बल्कि उन्हें "बालक समान" मानते हैं। परंतु उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे प्रेमानंद को न तो विद्वान मानते हैं, न ही चमत्कारी।
“चमत्कार वही, जो शास्त्र समझे”
रामभद्राचार्य का मानना है कि चमत्कार वही होता है, जो शास्त्रों को गहराई से समझता और समझा सकता है। उन्होंने कहा "डायलसिस पर जी रहे हैं। इतनी लोकप्रियता सिर्फ थोड़े समय की होती है।" इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है कुछ लोग रामभद्राचार्य की विद्वता और स्पष्टवादिता की सराहना कर रहे हैं, तो कुछ लोगों को उनका यह अंदाज़ ठीक नहीं लग रहा है।
मथुरा केस पर क्या बोले रामभद्राचार्य?
रामभद्राचार्य ने मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान से जुड़े एक मुकदमे पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा "मैं किसी आंदोलन में हिस्सा नहीं लूंगा, लेकिन अगर कोर्ट मुझे शास्त्रीय साक्ष्य के लिए बुलाएगा, तो मैं जरूर जाऊंगा।"
कौन हैं संत प्रेमानंद महाराज?
प्रेमानंद महाराज मथुरा-वृंदावन के प्रसिद्ध संत हैं, जिनके प्रवचन पूरे देश में सुने जाते हैं। फिल्मी सितारे, बड़े कारोबारी और क्रिकेटर भी उनके शिष्य हैं। उनके कार्यक्रमों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। पिछले कुछ वर्षों में उनकी लोकप्रियता बहुत तेजी से बढ़ी है और उनके प्रवचन लोगों के दिलों को छू जाते हैं।

इस बयान ने धार्मिक जगत में नई चर्चा को जन्म दे दिया है। एक तरफ रामभद्राचार्य की गहरी विद्वता है, तो दूसरी ओर प्रेमानंद महाराज की भावनात्मक जुड़ाव से भरपूर शैली और बड़ी फॉलोइंग। दोनों की अपनी-अपनी जगह है, पर रामभद्राचार्य का यह बयान बहस का विषय जरूर बन गया है।