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70 साल बाद प्रिंस चार्ल्स का ख्वाब हुआ पूरा, ताज के लिए अभी करना होगा  इंतजार

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 10 Sep, 2022 11:00 AM
70 साल बाद प्रिंस चार्ल्स का ख्वाब हुआ पूरा, ताज के लिए अभी करना होगा  इंतजार

पूरी जिंदगी ब्रिटेन की राजगद्दी संभालने की तैयारी करने के बाद अंतत: 73 साल की उम्र में प्रिंस चार्ल्स को ‘महाराज चार्ल्स तृतीय’ के रूप में देश की राजगद्दी पर बैठने का अवसर मिला है। ब्रिटेन की राजगद्दी पर बैठने वाले चार्ल्स सबसे अधिक उम्र के राजा होंगे। अपनी मां महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद वह देश के अगले महाराज बने हैं। ब्रिटिश राजशाही के अधिकारियों के मुताबिक, चार्ल्स ‘किंग चार्ल्स थर्ड’ (महाराज चार्ल्स तृतीय) के नाम से राजगद्दी संभालेंगे।

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ताजपोशी में लगेगा वक्त

प्रिंस चार्ल्स के लिए सबसे बड़ा वक्त वह होगा जब उन्हें चार्ल्स को ताज पहनाया जाएगा. लेकिन तैयारियों के मद्देनज़र चार्ल्स की ताजपोशी में वक़्त लगेगा। अभी तक चार्ल्स की ताजपोशी की तारीख तय नहीं हुई है, ऐसे में उन्हें और इंतजार करना पड़ सकता है।  इससे पहले क्वीन एलिजाबेथ को भी करीब 16 महीने इंतजार करना पड़ा था। फरवरी 1952 में उनके पिता का निधन हुआ, लेकिन जून 1953 में उनकी ताजपोशी हुई थी। 1952 के बाद पहली बार ऐसा होगा जब ब्रिटेन के राष्ट्रगान का शब्द होगा- 'गॉड सेव द किंग'। इससे पहले गॉड सेव द क्वीन था।

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प्रिंसेस डायना के साथ  चार्ल्स का तलाक रहा चर्चा में 

जन्म के साथ ही देश की राजगद्दी के उत्तराधिकारी चार्ल्स ने ब्रिटिश राजशाही के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। चार्ल्स पहले ऐसे शाही उत्तराधिकारी हैं जिनकी शिक्षा घर में नहीं हुई है, साथ ही वह विश्वविद्यालय डिग्री पाने वाले और राजपरिवार और सामान्य जनता के बीच की कम होती दूरियों के दौर में मीडिया की पैनी नजरों के बीच जिंदगी गुजारने वाले भी पहले उत्तराधिकारी हैं। बेहद लोकप्रिय प्रिंसेस डायना के साथ विवादित तलाक के बाद वह काफी अलग-थलग भी पड़े। उन्होंने राज परिवार के सदस्यों को सार्वजनिक मामलों में हस्तक्षेप करने से रोकने वाले नियम की भी कई बार अनदेखी की। 

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हर मुद्दे पर की खुलकर बात

बेहद रोबीले पिता के शर्मीले बेटे चार्ल्स ऐसे व्यक्ति के रूप में बड़े हुए जिन्हें कभी-कभी खुद के विचारों पर भी भरोसा नहीं होता था। एक तरफ उनकी मां थीं जो अपने विचारों को सार्वजनिक नहीं करना चाहती थीं, वहीं दूसरी तरफ चार्ल्स हैं जिन्होंने उनके दिल को छूने वाले मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन, हरित ऊर्जा और वैकल्पिक दवाओं के विषय पर ना सिर्फ लेख लिखे हैं बल्कि सार्वजनिक भाषण भी दिए हैं।


चार्ल्स के बेटों ने खींच लिया लोगों का ध्यान


चार्ल्स ने कभी कहा था कि वे शाही परिवार के कामकाजी सदस्यों की संख्या कम करना चाहते हैं, खर्च घटाना चाहते हैं और आधुनिक ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। हालांकि, डायना से उनकी शादी टूटने के बाद राजगद्दी का उत्तराधिकारी होने को लेकर उन पर कई सवाल उठाए गए। इसके बाद जब उनकी उम्र ढलती गयी तो उनके जवान बेटों ने सारा ध्यान अपनी ओर खींच लिया। ब्रिटेन में ‘‘लोगों की राजकुमारी’’ डायना की पेरिस में एक कार हादसे में 1997 में हुई मौत से पहले उनसे की बेवफाई की बात स्वीकार करने के लिए चार्ल्स को माफ करने में लोगों को कई साल लग गए। हालांकि, 2005 में कैमिला पार्कर से विवाह करने के बाद जनता का रुख थोड़ा नरम पड़ गया।

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 भारत से है चार्ल्स का गहरा संबंध


प्रिंस चार्ल्स फिलिप आर्थर जॉर्ज का जन्म 14 नवंबर 1948 को बकिंघम पैलेस में हुआ। जब उनकी मां 1952 में राजगद्दी पर बैठीं तो तीन साल के प्रिंस ‘ड्यूक ऑफ कॉर्नवेल’ बने। वह 20 साल की उम्र में प्रिंस ऑफ वेल्स बने। बता दें कि चार्ल्स तृतीय का भारत और योग तथा आयुर्वेद की उसकी सदियों पुरानी परंपराओं के साथ एक मजबूत संबंध है। पिछले वर्षों में चार्ल्स (73) ने प्रिंस ऑफ वेल्स के रूप में भारत की कई यात्राएं की हैं। ब्रिटिश सिंहासन पर बैठने के साथ ही, चार्ल्स राष्ट्रमंडल के प्रमुख भी बन गए हैं। राष्ट्रमंडल में भारत सहित 56 स्वतंत्र देश हैं और इन सदस्य देशों में 2.4 अरब लोगों की संयुक्त आबादी है।

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