पूरा देश इस समय भगवान राम की भक्ति में डूबा हुआ है। भक्त देश के कोने- कोने से रामलला को भेंट करने के लिए खास उपहार लेकर पहुंच रहे हैं। वहीं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी पीछे नहीं हैं। यहां की हिंगोल नदी से खास जल अयोध्या भेजा जाएगा। दरअसल, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के हिंगलाज में हिंगोल नदी के तट पर एक हिंदू मंदिर स्थित है, जिसे हिंगलाज माता मंदिर कहा जाता है। ये हिंदू देवी सती को समर्पित इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। यहां इस देवी को हिंगलाज देवी या हिंगुला देवी भी कहते हैं। इस मंदिर को नानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। पिछले तीन दशकों में ये जगह टूरिस्ट के बीच में भी काफी लोकप्रिय हो गई है। सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच ये आस्था का केंद्र बना हुआ है। आइए आपको बताते हैं इस मंदिर के बारे में और विस्तार से...
अकेले हिंगलाज मंदिर जाने की है मनाही
हिंगलाज मंदिर काफी उंचाई पर स्थित है। इसकी चढ़ाई करना अमरनाथ मंदिर से भी ज्यादा कठिन है। रास्ते में 1000 फुट ऊंचे- ऊंचे पहाड़, दूर तक फैला सुनसान रेगिस्तान, जंगली जानवर वाले घने जंगल और 300 फीट ऊंचा मड ज्वालामुखी पड़ता है। ऊपर से डाकुओं और आतंकियों का डर अलग से। ये ही वजह है कि यहां अकेले यात्रा करना मना है। 30-40 लोगों का ग्रुप बनाकर ही लोग दर्शन करने जा सकते हैं। यात्री 55 किलोमीटर तक पैदल चलकर यात्रा करके हिंगलाज पहुंचते हैं। 2007 में चीन द्वारा रोड बनवाने से पहले तक हिंगलाज पहुंचाने के लिए 200 किलोमीटर तक पैदल चलना होता था। इसमें 3 महीने तक लग जाते थे।
माता सती का यहां गिरा था सिर
पौराणिक कथाओं के अनुसार पिता द्वारा पति भगवान शिव के अपमान से दुखी देवी सती ने खुद को हवनकुंड में जला डाला। इसके बाद सती के शिव को कंधे पर उठाकर भगवान शिव क्रोध में तांडव शुरु कर दिया। उन्हें शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के मृत शरीर के 51 टुकड़े कर दिए। ये टुकड़े जहां- जहां गिरे, उन 51 जगहों को ही देवी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। इन टुकड़ों में सती के शरीर का पहला हिस्सा यानी सिर किर्थर पहाड़ी पर गिरा, जिसे आज हिंगलाज के नाम जानते हैं।
मुस्लिम लोगों की है मंदिर में खास आस्था
हिंगलाज मंदिर के पुजारियों का कहना है कि मुस्लिम लोग इस मंदिर को अपना हज मानते हैं। कई बार मंदिरों में पुजारी- सेवक मुस्लिम टोपी पहने दिखते हैं, तो कई बार मुस्लिम देवी माता की पूजा के दौरान साथ खड़े दिखते हैं। जहां हिंदू हिंगलाज मंदिर को माता का स्थान मानते हैं वहीं, मुस्लिम इसे ‘बीबी नानी पीर’ या ‘नानी मंदिर’ या ‘नानी का हज’ के नाम से जानते हैं।