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पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों की याद में बैसरन घाटी में बनेगा स्मारक

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 28 May, 2025 09:35 AM
पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों की याद में बैसरन घाटी में बनेगा स्मारक

 नारी डेस्क: जम्मू-कश्मीर सरकार ने 22 अप्रैल को पहलगाम के पास बैसरन में हुए भीषण आतंकी हमले में मारे गए 26 निर्दोष लोगों की याद में एक स्मारक बनाने का फैसला लिया है। यह घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने की। इस फैसले को राज्य की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है और लोक निर्माण विभाग (PWD) को काम जल्द शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।

क्या हुआ था 22 अप्रैल को?

22 अप्रैल को पहलगाम के लोकप्रिय पर्यटन स्थल बैसरन में आतंकवादियों ने हमला कर दिया था। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। यह घटना पूरे देश को झकझोर देने वाली थी और इससे कश्मीर की शांतिप्रिय छवि को भी नुकसान पहुंचा।

कैबिनेट बैठक पहली बार श्रीनगर से बाहर

इस घटना के एक महीने बाद पहलगाम में ही जम्मू-कश्मीर की कैबिनेट की बैठक बुलाई गई। यह पहली बार हुआ कि उमर अब्दुल्ला सरकार ने श्रीनगर या जम्मू के बाहर कैबिनेट बैठक की। इस बैठक का मकसद प्रशासनिक निर्णय लेने के साथ-साथ आतंकवादियों को एक साफ संदेश देना भी था – कि सरकार डरने वाली नहीं है।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का बयान

“22 अप्रैल की घटना एक बहुत ही भयावह आतंकी हमला था जिसने कश्मीर की छवि को ठेस पहुंचाई है। हम उस नुकसान की भरपाई तो नहीं कर सकते, लेकिन उन लोगों की याद को सम्मान देने के लिए हम बैसरन में एक गरिमामय स्मारक बनाएंगे।”

उन्होंने आगे कहा-“यह स्मारक सिर्फ एक इमारत नहीं होगी, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी दृढ़ता और शांति की ओर हमारे संकल्प का प्रतीक होगा। यह आतंकवादियों के लिए एक सीधा संदेश है कि वे हमें नहीं डरा सकते।”

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बैसरन में बनेगा स्मारक

बैसरन, जो पहलगाम से लगभग 7 किलोमीटर दूर एक सुंदर घास का मैदान है, वहां यह स्मारक बनाया जाएगा। यहां तक पहुंचने के लिए लोग पैदल या घोड़े के सहारे जाते हैं। सरकार चाहती है कि यह स्मारक श्रद्धांजलि के साथ-साथ पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित हो। सरकार जनता से भी सुझाव मांगेगी कि यह स्मारक कैसा हो, ताकि यह स्मृति स्थल भव्य, सम्मानजनक और संदेशपूर्ण बने।

पर्यटन पर असर और उमर अब्दुल्ला की चिंता

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पर्यटकों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है।
उन्होंने मजाक में कहा,

“हमारा पर्यटन सीजन बहुत अच्छा चल रहा था, लोग हवाई किराए और ट्रैफिक जाम की शिकायत कर रहे थे। तभी किसी की नज़र लग गई।”

इसके साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय यात्रा चेतावनियों (travel advisories) पर नाराजगी जताई, जिनमें पर्यटकों को कश्मीर आने से मना किया जाता है। उन्होंने कहा कि इन चेतावनियों के खिलाफ लड़ते-लड़ते उनके बाल सफेद हो गए हैं।

फारूक अब्दुल्ला का दौरा

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला भी पहलगाम पहुंचे। उन्होंने गोल्फ खेलते हुए पर्यटकों से अपील की कि वे वापस आएं और कश्मीर की सुंदरता का आनंद लें। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने कश्मीर में शांति और विकास के प्रयासों को पटरी से उतारने की कोशिश की है। “हम सही रास्ते पर थे, लेकिन उन लोगों ने जो सीमा पार से आते हैं, हमारे बनाए हुए ताने-बाने को नष्ट कर दिया। हमें दोबारा उसे ठीक करने का मौका दें।”

यह फैसला जम्मू-कश्मीर में शांति, स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ एक ठोस कदम के रूप में देखा जा रहा है। स्मारक न केवल मृतकों की याद को संजोएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देगा कि आतंक कभी सच्चाई और इंसानियत को नहीं हरा सकता।
  

 

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