नारी डेस्क: नवजात शिशुओं को अपनों के चेहरे की पहचान करने में समय लगता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चे गंध से अपनों की पहचान कर लेते हैं। जी हां, साइंटिस्ट की एक टीम ने एक नई खोज की है कि शिशु अपनी मां की गंध के कारण चेहरे देख पाते हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि यह क्षमता उनकी जन्म से ही मौजूद उत्तम इंद्रियों, विशेष रूप से खुशबू के संवेदनशील होने से जुड़ी होती है।
जन्म के कुछ घंटों के भीतर ही, शिशु माँ की खुशबू को अन्य महिलाओं की खुशबू से अलग पहचान सकता है। इस गंध के माध्यम से पहचान, बच्चों को उनके देखभालकर्ताओं से जुड़ा होने की भावना और सुरक्षा मिलती है।इसके अतिरिक्त, शिशु अपने पिता या अन्य परिवार के सदस्यों को भी उनकी गंध से पहचान सकते हैं।
यह गंध की पहचान की क्षमता समाजिक और भावनात्मक विकास के शुरुआती प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जन्म के समय बच्चे की खुशबू पहचान और बंधन में मदद करने में महत्वपूर्ण होती है।
कई संस्थानों के शोधकर्ताओं ने यह समझने के लिए एक अध्ययन किया कि शिशु अपनी माताओं की गंध का उपयोग चेहरे को समझने के लिए कैसे करते हैं। अध्ययन के नतीजे दिलचस्प हैं और पहले कभी नहीं सुने गए। पाया गया है कि शिशु की इस खास क्षमता में चार से 12 महीनों के बीच बहुत सुधार होता है।
जिससे अध्ययन में, यह पाया गया कि चेहरे को देख कर समझने की क्षमता मां की गंध से बढ़ जाती है। वही जब शिशु बड़े हो जाते हैं और केवल देखने के संकेतों से ही चेहरे को कुशलतापूर्वक समझने में लगते हैं, तो यह क्षमता कम हो जाती है।