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आज मां दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कूष्मांडा की आराधना का दिन, उनकी मुस्कान से ही बना था ब्रह्मांड

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 26 Sep, 2025 10:48 AM
आज मां दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कूष्मांडा की आराधना का दिन, उनकी मुस्कान से ही बना था ब्रह्मांड

नारी डेस्क: नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरुप को समर्पित होते हैं। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का बहुत विशेष महत्व होता है। मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की सृष्टि करने वाली शक्ति माना जाता है। मान्यता है कि मां कूष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से सृष्टि की रचना की थी। उनकी पूजा करने से साधक के जीवन से नकारात्मकता समाप्त होती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

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मां की है आठ भुजाएं 

मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, पुष्प, कलश, चक्र और गदा विराजमान है। वहीं आठवें हाथ में सारी सिद्धियों और निधियों को देने वाली माला विराजमान है। देवी के हाथों में एक कलश भी विराजमान है जो भक्तों को लंबी आयु और अच्छा स्वास्थ्य देता है। मां सिंह की सवारी करती हैं जो धर्म का प्रतीक माना जाता है।


मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व और फल


मां की उपासना से जीवन से भय, रोग और मानसिक तनाव दूर होते हैं। मां की कृपा से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है और रोगों से मुक्ति मिलती है। मां कूष्मांडा की पूजा से घर में सुख-समृद्धि और धन का आगमन होता है। मां की पूजा करने से साधक का मन एकाग्र होता है और ध्यान व साधना में सफलता मिलती है। नवरात्रि के चौथे दिन पीला रंग  पहनना और पूजा में उपयोग करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पीला रंग ऊर्जा, ज्ञान और सकारात्मकता का प्रतीक है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करने और मां को पीले फूल चढ़ाने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।नवरात्रि के चौथे दिन देवी पूजा में पीले रंग के वस्त्र, पीला सिंदूर, पीली चूड़ियां, पीली बिंदी, पीले फल, पीली मिठाई आदि चीजें चढ़ानी चाहिए। 

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मां कूष्मांडा के प्रिय भोग

मां कूष्मांडा को मालपुआ का भोग विशेष रूप से प्रिय है। इसके अलावा, वे हरी इलाइची और सौंफ से भी प्रसन्न होती हैं। इसलिए इन चीजों का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है। यह भोग चढ़ाने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।


मां कूष्मांडा के मंत्र

1. सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।  
   दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

2. या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।  
   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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