ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शरीर का निर्माण पांच तत्वों से हुआ है। आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी यह पांच तत्वों से मनुष्य का शरीर बना है। ये पांच तत्व नौ ग्रहों के द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं। जब कोई तत्व कुंडली में कमजोर होता है तो उससे संबंधित बीमारियां शरीर को घेरने लगती हैं। ज्योतिष शास्त्रों की मानें तो शरीर में होने वाली हर बीमारी नवग्रहों से जुड़ी होती है। तो चलिए आपको बताते हैं कि कौन सी बीमारी किस ग्रह के कारण होती है।
सूर्य ग्रह
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा कहते हैं। यदि आपकी कुंडली में सूर्य बलवान हो तो आपकी आत्मा भी बलवा होगी। वहीं यदि कुंडली में सूर्य अच्छा नहीं होगा तो सबसे पहले आपके बाल झलने लगेंगे। सिर में आए दिन आपको दर्द होता रहेगा। इस दर्द को दूर करने के लिए आपको दवाई का सहारा लेना पड़ेगा।
चंद्र ग्रह
यदि आपका चंद्र ग्रह कमजोर है तो आप बहुत भावुक किस्म के होंगे। कठोरता से आप बहुत जल्दी प्रभावित होंगे और आपकी सहनशक्ति भी कम होगी। इसके बाद सर्दी-जुकाम और खांसी कफ जैसी बीमारियों से भी बहुत जल्दी प्रभावित होंगे।
मंगल ग्रह
मंगल कमजोर होने के कारण व्यक्ति को रक्त संबंधी बीमारियों के अलावा जोश की कमी होगी। आप हर काम धीरे-धीरे करेंगे। चंद्रमा के प्रभाव के कारण व्यक्ति ज्यादा सुस्त नजर आएगा और किसी भी काम को सही एनर्जी से भी नहीं कर पाएगा।
बुध ग्रह
कुंडली में बुध ग्रह के कमजोर होने के कारण रोग ज्यादा होते हैं। बुध खराब होने के कारण आपको सांस संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। व्यक्ति इसके कारण हकलाता भी है। इसके अलावा बुध कमजोर होने के कारण ही गूंगा और बहरापन आता है।
गुरु ग्रह
गुरु ग्रह के कमजोर होने के कारण व्यक्ति की समझने की शक्ति प्रभावित होती है। इस ग्रह के कुंडली में मजबूत होने के कारण लोग मंद बुद्धि के हो जाते हैं और मूर्खों जैसी बातें करते हैं। गुरु की कमजोर स्थिति के कारण पीलिया, थायराइड और पेट संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं। व्यक्ति की बुद्धि खराब हो जाती है। इसके अलावा इसके खराब होने के कारण पीलिया या पेट संबंधी रोग भी हो सकते हैं।
शुक्र ग्रह
जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र कमजोर होता है उसे शारीरिक सुख नहीं मिलता। इसके अलावा व्यक्ति को डायबिटीज की बीमारी भी होती है। शरीर का पतला होना या हाइट कम होना भी शुक्र की अशुभ स्थिति के कारण होता है।
शनि ग्रह
यह ग्रह दुख और पीड़ा का प्रतिनिधित्व करता है। जितने भी शारीरिक समस्याएं होती हैं जिससे व्यक्ति को शारीरिक दुख मिलता है उसका कारण शनि ग्रह होता है। शनि का प्रभाव दूसरे ग्रहों पर होने के कारण व्यक्ति को उसी से संबंधित रोग हो सकता है। शनि की दृष्टि सूर्य पर होने के कारण माइग्रेन की समस्या हो सकती है वहीं चंद्र ग्रह पर शनि की दृष्टि होने के कारण जुकाम, मंगल पर शनि की दृष्टि होने के कारण रक्त में कमी और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
राहु ग्रह
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु ग्रह कमजोर हो तो उसे एलर्जी, खुजली जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। राहु से पीड़ित होने के कारण व्यक्ति का हमेशा इलाज चलता रहता है और उसे डॉक्टर के चक्कर लगाने पड़ते हैं। राहु की अशुभ स्थिति के कारण हार्ट अटैक जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
केतु ग्रह
केतु ग्रह जिस व्यक्ति की कुंडली में कमजोर तो उसे भूत-प्रेत का डर होता है। इसके अलावा केतु की खराब स्थिति के कारण फोड़े-फुंसियां और थोड़ी बहुत चोट लगने की संभावना भी होती है।