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महामारी के दौर में हर चुनौतियों का सामना कर इन मांओं ने यूं तलाश की जिंदगी की नई राह

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 19 Jun, 2021 09:02 PM
महामारी के दौर में हर चुनौतियों का सामना कर इन मांओं ने यूं तलाश की जिंदगी की नई राह

कोरोना काल में जहां बीमारी ने लोगों की जिदंगियां छीन ली वहीं,  लाॅकडाउन लगाए जाने की वजह से आई बेरोजगारी ने लोगों की कमर तक तोड़ डाली। इसी बीच दुनिया में कुछ ऐसी महिलाएं मिसाल बन कर सामने आई जिन्होंने अपने बलबूते पर जिंदगी की तलाश में नई राह ढूंढ निकाली। आईए मिलते हैं ऐसी ही कुछ महिलाओं से -


19 फुट लंबी वैन में रहने को मजबूर हुई 33 साल की सारा शेफर्ड
कोरोना माहामारी की वजह से जहां लोग जिंदगी और मौत से जुझ रहे थे वहीं कई लोग बेधर भी हुए इन्हीं में से एक है अमेरिका के ओरेगॉन सिटी की सारा शेफर्ड  जिन्होंने महामारी फैलने के बाद परिवार समेत 19 फुट लंबी वैन में रहने का ‌फैसला लिया था। उन्होंने पिछले साल अगस्त में फुल टाइम जॉब छोड़कर फ्री लैंसिंग का काम शुरू किया। बतां दें कि  शेफर्ड अकेली नहीं हैं, महमारी के दौर में कई महिलाओं मानसिक और आर्थिक समस्याओं से जूझ रही महिलाओं खासकर माओं ने जिंदगी को नई परिभाषा देने की कोशिश की। 

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7 साल की बेटी, नवजात और दो पेट्स को लेकर तीन महीनें तक वैन में रही सारा शेफर्ड- 
33 साल की सारा शेफर्ड ने बताया कि 7 साल की बेटी, नवजात और दो पेट्स को लेकर वे वैन के सफर पर निकली। जगह तंग थी पर सबके साथ समय खुशी से बीतता रहा। जूम कॉल में समस्या, बच्चे को सुलाने की दिक्कत के चलते सारा का यह अभियान एक या दो दिन नहीं ब्लकि तीन महीनें तक चला।  वॉशिंगटन के लॉन्ग बीच पर उनकी गाड़ी खराब हो गई और उन्होंने वहीं बसने का फैसला  कर लिया। 
 

कैंसर को मात दे चुकीं 56 साल की लीजा ने सिखाया, जिंदगी में सब अच्छा हो यह जरूरी नहीं
वहीं इसी तरह एक और महिला ने दुनिया की सभी महिलाओं को जिंदगी जीने की नई परिभाषा दी। कैंसर को मात दे चुकीं 56 साल की लीजा रिपर ने बताया कि बीते फरवरी में उन्होंने 5 माह पुरानी नौकरी छोड़ दी ताकि पति व बेटी पर ध्यान दे सकें। नोटिस देने के दो हफ्ते बाद ही पिता चल बसे। दिसंबर में पूरे परिवार कोरोना से संक्रमित हो गया। फिर पेट डॉग की मौत हो गई। 200 से ज्यादा रिज्यूमें भेजे, 50 इंटरव्यू दिए तब जाकर उन्हें एक कॉलेज में नौकरी मिली। मां-बेटी बताती हैं कि इससे हमें यह सीख मिलती कि सब अच्छा हो जरूरी नहीं।

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माहमारी के दौर में एक मां की जिदंगी कठिन हैं
39 वर्षिय मार्टिका ग्रीन पति और 2 व चार साल की बेटियों के साथ आकलैंड में रहती हैं। माहामारी से पहले उन्होंने बच्चों की किताबें लिखनी शुरू कर दी थी वह अटलांटा में अपना जीवन गुजारना चाहती थी लेकिन इस बीच उनकी सास का देहांत हो गया जिस वजह से उनका प्लान कैंसिल हो गया, इसके बावजूद उन्होंने साकारत्मक रहने की कोशिश की, उनका कहना है कि माहमारी के दौर में एक मां की जिदंगी कठिन हैं पर उन्हें विश्वास हैं कि एक दिन परेशानियों से वह पार निकल जाएंगी और यह कठिन समय भी गुजर जाएगा। 
 

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