नारी डेस्क: "तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है..." अब इन शब्दों के कोई मायने नहीं है। क्योंकि अब लोग प्यार और साथ से पहले पैसे को मायने दे रहे हैं। जब कही शादी की बात होती है तो लड़की वाले लड़के को जानने से पहले यह जानना चाहते हैं कि उसकी प्रॉपर्टी कितनी है। उसके नाम कितना पैसा है। लड़के का बड़ा घर और कार के आगे तो लोग और कुछ देखना ही नहीं चाहते।
लाइफ स्टाइल पर दिया जाता है जोर
पहले के जमाने में ये देखा जाता था कि लड़के का खानदान कैसा है उनके संस्कार कैसे है, बस मां- बाप इतना चाहते थे कि उनकी बेटी की दो वक्त की रोटी समय पर मिल जाए वह ही काफी है। पर अब समय और माहौल बदल गया है। लड़का हो या लड़की उनके लिए सबसे ज्यादा जरूर है लाइफ स्टाइल, अगर सामने वाले का रहना सहना हाई- फाई है तो वह रिश्ता आगे बढ़ाने में देरी नहीं करते हैं।
मतलब के लिए निभाए जा रहे रिश्ते
अब लड़के वालों को लड़की संस्कारी है या नहीं, इस से कोई लेनादेना नहीं होता। बस उसके पिता के पास इतना पैसा होना चाहिए कि वह अपने दामाद को खुश रख सके। वहीं लड़की वालों को लड़का इतना अमीर चाहिए कि वह उनकी बेटी को पूरी ऐश करवाए। आज कल के हालात देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि सब अपनी लाइफस्टाइल बेहतर करने के लिए एक दूसरे का साथ चाहते हैं।
बिना मेहनत चाहिए ऐशो आराम
लोग यह चाहते हैं कि उन्हें बिना कमाई करे पैसे मिल जाए। लड़का चाहता है कि उसे पत्नी के घर से बढ़िया सी कार मिल जाए और लड़की चाहती है कि उसका घर ऐसा हो जिससे उसकी रिश्तेदारों के बीच वाहवाही हो। इस सब में वह एक दूसरे के व्यवहार, उसकी आदतें सब नजरअंदाज कर देते हैं। अपना स्टेटस सिंबल दिखाने के लिए शादी बेहद ही शादी अंदाज में की जाती है।
दिखावे के लिए खर्च कर रहे पैसे
ज्वैलरी पहले पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली एक विरासत थी, जिसे सास की सास ने उन्हें दी और अब सास अपने खानदानी जेवर बहू को चढ़ाती है। अब बहू पहले ही कह देती है कि ये पुराना डिजाइन मुझे नहीं चाहिए। सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए लाखों के भारी- भरकम गहने बनवाएं जाते हैं। यानी कि कुल मिलाकर पैसे के आगे भावनाएं, संस्कार, रिवाज सब पीछे रह गए हैं।