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लोहड़ी क्यों मनाई जाती है, पतंगबाजी से इसका क्या है कनैक्शन?

  • Edited By Priya verma,
  • Updated: 10 Jan, 2019 05:37 PM
लोहड़ी क्यों मनाई जाती है, पतंगबाजी से इसका क्या है कनैक्शन?

नया साल आते ही हर तरफ लोहड़ी की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोहड़ी उत्तर भारत में मनाया जाने वाला प्रसिद्ध त्यौहार है। मकर सक्रांति के 1 दिन पहले यानि 13 जनवरी को लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। जिस घर में लड़के की शादी, बच्चे का जन्म हुआ हो वे लोग दोस्तों और रिश्तेदारों को बुलाकर यह त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाते हैं। आग में मूंगफली, रेवड़ी, तिल आदि की आहूती डालकर पूजा की जाती है। लोग गिद्दा और भंगड़ा डालकर लोग खुशियां मनाते हैं। 

लोहड़ी क्यों मनाई जाती है ?

लोहड़ी मनाने के पीछे कई किस्से और कहानियां सुनाई जाती हैं लेकिन इनमें से सबसे प्रसिद्ध किस्सा दूल्ला भट्टी के साथ जुड़ा है। एक कहानी के अनुसार कहा जाता है कि दूल्हा भट्टी नाम का एक डाकू था, जो लूटपाट करके जोड़े गए पैसों से गरीब लोगों की मदद करता था। उसने एक बार मुश्किल समय में सुंदरी और मुंदरी दो अनाथ बहनों की मदद की। जिनको उसके चाचा ने जमीदारों को सौप दिया था। दूल्हे ने उन्हें जमीदारों के चंगुल से छुड़ाकर लोहड़ी की इसी रात आग जलाकर उनकी शादी करवा दी और एक सेर शक्कर उनकी झोली में डालकर विदाई की। माना जाता है कि इसी घटना के कारण लोग लोहड़ी का त्यौहार मनाते हैं। दूल्हा भट्टी को आज भी प्रसिद्ध लोक गीत ‘सुंदर-मुंदिरए’ गाकर याद किया जाता है। 

लोहड़ी का प्रसिद्ध गीत

लोहड़ी के त्यौहार पर ‘सुंदर मुंदरिए ...हो तेरा कौन बेचारा’ प्रसिद्ध गीत गाया जाता है। इस गीतो गाकर बच्चे घर-घर जाकर लोहड़ी मागतें हैं। 

लड़की के लिए भी मनाए लोहड़ी

खुशियों का त्यौहार लोहड़ी का स्वरूप समय के साथ धीरे-धीरे बदलता जा रहा है। जहां लोग पहले सिर्फ लड़के के जन्म पर ही इस फेस्टिवल को मनाते थे आज लड़कियों को लिए भी इस शगुन को मनाया जाता है। यह बात बिल्कुल सही है कि घर में रौनक बच्चे की किलकारियों से गुंजती हैं फिर चाहे वह लड़का हो या फिर लड़की। आज शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां लड़कियों ने मां-बाप का नाम रोशन न किया हो फिर उनके दुनिया में आने पर जश्न मनाना गलत बात नही है। लोहड़ी के त्योहार के जरिए आप भी लोगों की सोच बदल सकते हैं, अपनी खुशी में बेटियों को भी जरूर शामिल करें।  

लोहड़ी और पतंगबाजी का कनैक्शन

लोहड़ी और इसके अगले दिन यानि मकर संक्रान्ति को लोग खूब पतंग उड़ाते हैं। कई जगहों पर तो पतंगबाजी प्रतियोगिताएं भी रखी जाती हैं। इसके पीछे मान्यता है कि पतंग खुशी, उल्लास, आजादी का शुभ संदेश देते हैं। इस दिन घर में शुभ काम होने शुरू हो जाते हैं और अपनी खुशी जाहिर करने के लिए लोग पतंग उड़ाते हैं। मकर संक्रान्ति की पर्व मनाने के लिए लोहड़ी वाले दिन ही लोग तैयारियां करनी शुरू कर देते हैं। 

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पतंग महोत्सव 

पहले सुबह सूर्य उदय के साथ ही पतंग उड़ाना शुरू हो जाता था। पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य कारण है कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना। यह समय सर्दी का होता है और इस मौसम में सुबह का सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्धक और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। 

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सूरज की रोशनी में समय बिताना

पतंग उड़ाने की एक वजह सूरज के रोशनी में समय बिताना भी है।  ऐसा माना जाता है लोहड़ी और मकर संक्रांति के दिन से सूरज देवता प्रसन्न होते हैं। इस कारण लोग घंटों धूप में बिताकर सर्दी से राहत पाते हैं, जिससे शरीर को विटामिन डी मिलता है और खांसी,जुकाम जैसी बीमारियों से बचाव भी रहता है।

 

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