भागते-दौड़ते लाइफस्टाइल, जंक फूड खाना, कम फिजिकल एक्टिविटी और तनाव के कारण लोग बीमारियों से घिरे रहते हैं। महिलाएं भी इससे अछूती नहीं हैं बल्कि शोध की मानें तो औरतों को पुरुषों के मुकाबले ज्यादा समस्याएं होती हैं। वहीं, PCOS यानि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम भी महिलाओं में काफी कॉमन होती जा रही है, जिसका कारण है हार्मोनल असंतुलन। पीसीओएस एक ऐसी ही बीमारी है, जिसने पिछले 10 साल में महिलाओं पर सबसे अधिक प्रभाव डाला है। इसके कारण ना सिर्फ महिलाओं का पीरियड्स साइकल बिगड़ जाता है बल्कि वो गर्भधारण भी नहीं कर पाती। चलिए आपको बताते हैं इससे जुड़ी जरूरी बातें, जो हर महिला को पता होनी चाहिए...
पीसीओएस को ऐसे समझें
आमतौर पर लड़कियों की ओवरी में कोई सिस्ट नहीं होता और वो हर महीने एग रिलीज करती है, जिसे आम भाषा में पीरियड्स भी कहा जाता है। मगर, हार्मोन्स का स्तर बिगड़ने पर शरीर में मेल हॉर्मोन एंड्रोजन ओवरी में अंडे को प्रभावित कर सिस्ट या गांठों में बदल देता हैं। इसके कारण पीरियड्स साइकल बिगड़ जाता है और एग भी रिलीज नहीं हो पाता। कई बार तो औरतों को पीरियड्स आने ही बंद हो जाते हैं और आगे चलकर बांझपन की आशंका भी बढ़ जाती है।
सिर्फ PCOS अनियमित पीरियड्स का कारण बन सकते हैं?
नहीं, अनियमित पीरियड्स कई तरह के कारकों के कारण हो सकते हैं, जिनमें से एक PCOS है। अगर पीरियड्स चक्र 22 दिनों से कम या 34 दिनों से अधिक लंबा है तो किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
बढ़ा हुआ वजन सबसे बड़ी समस्या
यह हार्मोनल इम्बैलेंस की समस्या है, जिसमें वजन बहुत असाधारण तरीके से बढ़ता है। अगर कोई महिला वजन कम करने का कोशिश करती भी है तो उन्हें मेहनत के मुकाबले आधा ही रिजल्ट मिलता है। वहीं, बढ़ा हुआ मोटापा अपने साथ कई ओर समस्याएं ले आता है इसलिए इसे कंट्रोल करना बहुत जरूरी है।
20-30 साल की उम्र में खतरा
शोध के मुताबिक, पहले जहां महिलाओं में यह समस्या 20 से 30 साल उम्र में देखने को मिलती थी वहीं पिछले 10 सालों से 15-19 साल की किशोरियां भी इसकी चपेट में आ रही हैं। इसके अलावा मेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं को भी इसकी गुंजाइश ज्यादा होती है।
ऐसे पहचानें PCOS के संकेत
इस बीमारी का सबसे शुरूआत लक्षण है अनियमित पीरियड्स, और मोटापा। इसके अलावा
. गर्भधारण करने में दिक्कत
. ओवेरियन या यूट्रस कैंसर
. बालों का तेजी से झड़ना
. हाई ब्लडप्रेशर
. स्किन टैग, एक्ने/ पिंपल्स होना
. डायबिटीज टाइप 2
. लगातार वजन बढ़ना
. डिप्रेशन और थकावट
. पेट के निचले हिस्से में दर्द/ पेल्विक पेन जैसे संकेत मिलते हैं।
सही लाइफस्टाइल से कंट्रोल होगी बीमारी
इस बीमारी को कंट्रोल करने का सबसे बढ़िया तरीका है हैल्दी लाइफस्टाइल...
. रोजाना कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज, योग करें
. डाइट में पोषक तत्वों, खासकर फाइबर से भरपूर आहार लें
. मोटापे को कंट्रोल करें
. सही समय पर भोजन करें और खूब पानी पीएं
. जंक फूड्स, मसालेदार भोजन से दूरी बनाकर रखें।
. देर से जागने और उठने के कारण भी हार्मोन्स प्रभावित होते हैं इसलिए इसका एक समय निर्धारित करें।
. सुबह खाली पेट 5 भीगे बादाम और 1 चम्मच मेथी दाना एक साथ खाएं।