दृष्टिहीन लोगों के लिए ब्रेल लिपि किसी वरदान से कम नहीं है। जो लोग देख नहीं सकते ब्रेल लिपि उन्हें रोशनी देने का काम करती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका आविष्कार किसने, क्यों और कब किया। चलिए विश्व ब्रेल दिवस के मौके पर हम आपको बताते हैं कि इसका आविष्कार क्यों हुआ और यह दिन क्यों मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है विश्व ब्रेल दिवस?
दुनियाभर में हर साल 4 जनवरी को लुई ब्रेल के जन्मदिन के रुप में विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे की एक वजह दृष्टिहीन लोगों को ब्रेल लिपि के महत्व के बारे में जागरूक करना और उनके अधिकार उन्हें प्रदान करना है।
ब्रेल लिपि का इतिहास
फ्रांस में 04 जनवरी 1809 को लुइस ब्रेल का जन्म हुआ था। एक दुर्घटना के कारण बचपन में ही उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी। लुई को 10 साल की उम्र में उनके पिता ने उनकी एडमिशन पेरिस के रॉयल नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड चिल्डे्रन में करवाई। जहां वेलन्टीन होउ द्वारा बनायी गई लिपि से पढ़ाई करवाई जाती थी लेकिन वो लिपि पूरी नहीं थी।
इस दौरान फ्रांस की सेना के एक कैप्टन चार्ल्स बार्बियर लुई के स्कूल में एक प्रशिक्षण के लिए आए थे। उन्होंने अंधेरे में सैनिकों द्वारा पढ़ी जाने वाली सोनोग्राफी लिपि के बारे में जानकारी दी। इस प्रणाली में कागज पर अक्षरों को उभारा जाता है। जिसके बाद लुई ब्रेल ने अपनी अलग लिपि बनाने का फैसला किया। साल 1824 में लुई ब्रेल महज 15 साल के थे जब उन्होंने अपनी लिपि को तैयार किया था। लुई द्वारा बनाई गई लिपि को बेहद आसान माना जाता है।
क्या है ब्रेल लिपि?
जो लोग देख नहीं सकते उनके लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार किया गया। इस लिपि को एक विशेष तरह के उभरे हुए कागज पर लिखा जाता है। कागज पर उङरे हुए बिंदु को ‘सेल’ के नाम से भी जाना जाता है। जिसे स्पर्श करके नेत्रहीन व्यक्ति पढ़-लिख सकते हैं। इसका आविष्कार लुइस ब्रेल ने किया था जो खुद दृष्टिहीन थे। उनके नाम पर ही इस लिपि का नाम ब्रेल लिपि रखा गया है।
पहला विश्व ब्रेल दिवस
पहला अंतरराष्ट्रीय ब्रेल दिवस 4 जनवरी 2019 को मनाया गया था। इसके प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 6 नवंबर 2018 को पारित किया गया था।