पााकिस्तान ऐसा देश जहां महिलाओं को बुर्का न पहनने पर आजादी नहीं है वहीं इस देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई महिला चीफ जस्टिस बनी हो। दरअसल, जस्टिस आयशा मलिक पाकिस्तान की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने जा रही हैं, क्योंकि पाकिस्तान के निवर्तमान चीफ जस्टिस मुशीर आलम 17 अगस्त को रिटायर होने वाले हैं इसी के चलते उन्होंने खुद सुप्रीम कोर्ट में आयशा मलिक के पदोन्नति के लिए सिफारिश की है।
जानिए कौन है आयशा मलिक?
आयशा मलिक वर्तमान में लाहौर हाईकोर्ट की जज हैं और वरिष्ठता सूची में चौथे स्थान पर हैं। आयशा मलिक ने 1997 से 2001 तक कराची में अपनी कानूनी फर्म में फखुरुद्दीन जी इब्राहिम की सहायता कर अपना कानूनी करियर शुरू किया। आयशा मलिक ने लाहौर में पाकिस्तान कॉलेज ऑफ लॉ में कानून की पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने लंदन के हार्वर्ड लॉ स्कूल से मास्टर डिग्री हासिल की। मार्च 2012 में मलिक लाहौर हाई कोर्ट में जज बनीं। उन्होंने अपनी बेसिक शिक्षा पेरिस और न्यूयॉर्क के स्कूलों से पूरी की और लंदन के फ्रांसिस हॉलैंड स्कूल फॉर गर्ल्स से ए-लेवल किया।
साल 2019 में जस्टिस आयशा मलिक लाहौर में महिला जजों की सुरक्षा के लिए समिति की अध्यक्ष बनीं। दरअसल, इस पैनल का गठन उसी साल जिला अदालतों में वकीलों द्वारा महिला जजों के प्रति गुंडागर्दी के खिलाफ किया गया था।
द इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ विमेन जज की सदस्य भी हैं आयशा
इसके अलावा, वह महिलाओं के लिए समानता और न्याय के माध्यम से महिला सशक्तिकरण की पहल, द इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ विमेन जज (IAWJ) की भी सदस्य हैं।
जस्टिस आयशा मलिक सुना चुकी है ये ऐतिहासिक फैसला
वहीं अब इसी साल जनवरी में जस्टिस आयशा मलिक ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें उन्होंने यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं पर टू-फिंगर और हाइमन टेस्ट को अवैध और पाकिस्तान के संविधान के खिलाफ घोषित किया।