
नारी डेस्क: सर्दियों का मौसम बच्चों के लिए कई स्वास्थ्य समस्याएँ लेकर आता है। ठंडी हवा, गिरता तापमान और कमजोर इम्यूनिटी के कारण बच्चे जल्दी सर्दी, खांसी और सीने में जकड़न की शिकायत करने लगते हैं। कई बार इससे सांस लेने में भी परेशानी होती है, और बच्चा न खेल पाता है और न ही चैन की नींद सो पाता है। इस दौरान माता-पिता भी बहुत परेशान हो जाते हैं। दवाओं के साथ-साथ आयुर्वेद में बताए गए पारंपरिक घरेलू उपाय बच्चों को आराम देने में काफी सहायक हो सकते हैं। आयुर्वेद का मानना है कि शरीर और मन का संतुलन बनाए रखने से सर्दी और खांसी जैसी समस्याओं को कम किया जा सकता है।

मां के खान-पान का ध्यान रखें
यदि बच्चा मां का दूध पीता है, तो मां का भोजन सीधे बच्चे की सेहत पर असर डालता है। आयुर्वेद के अनुसार, मां को ठंडी तासीर वाली चीजें, ज्यादा मसालेदार और भारी भोजन खाने से बचना चाहिए। पाचन सही रहने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है और वह बीमारियों से जल्दी लड़ सकता है।
तिल के तेल से मालिश
तिल का तेल आयुर्वेद में बहुत फायदेमंद माना गया है। इसमें गर्म तासीर होती है, जो सीने की जकड़न और बलगम को कम करने में मदद करती है। हल्का गर्म तिल का तेल लेकर बच्चे के सीने, पीठ और हाथ-पैरों पर धीरे-धीरे मालिश करें। इससे शरीर को गर्माहट मिलती है और बच्चा आराम महसूस करता है।

पान के पत्ते का प्रयोग
पान के पत्ते में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह खांसी और जकड़न कम करने में मदद करता है। एक पान का पत्ता हल्का गर्म करें। उस पर तिल का तेल लगाएं और बच्चे के सीने पर रखें। ऊपर से मुलायम कपड़ा ढक दें। यह उपाय बच्चों को ठंड और खांसी से राहत देने में मदद करता है।
जायफल और छुआरे का सेवन
जायफल और छुआरा सर्दियों में शरीर को अंदर से गर्म रखते हैं। एक कप दूध में छुआरा भिगोकर, थोड़ा मुनक्का और चुटकी भर जायफल पाउडर डालकर बच्चे को दें। यह उपाय खांसी और सीने की जकड़न कम करता है और नींद भी अच्छी लाता है।

डॉक्टर की सलाह जरूरी
बच्चों में सांस या सीने की समस्या गंभीर हो सकती है। इसलिए किसी भी घरेलू उपाय को अपनाने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है। सही देखभाल और उचित आयुर्वेदिक उपाय अपनाकर, बच्चे सर्दियों में भी स्वस्थ और खुशहाल रह सकते हैं।