मां बनना किसी वरदान से कम नहीं है लेकिन यह महिलाओं के तब अभिशाप बन जाता है जब वो किसी कारण इस सुख से वंचित रह जाती है। ऐसे में आईवीएफ (In Vitro Fertilisation) महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। IVF वो तकनीक है जिसके जरिए बांझ महिलाएं भी मां बनने का सुख पा सकती हैं।
आनुवांशिक कारण, खराब जीवनशैली, स्वास्थ्य संबंधित दिक्कतें, तनाव आदि के कारण देशभर में कई लोग प्रजनन से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहें। वहीं कामकाजी महिलाएं 30 बाद ही कंसीव करती है, जिसके कारण उन्हें प्रेगनेंसी में दिक्कत आती है। आईवीएफ तकनीक ऐसे मामलों में काफी फायदेमंद साबित होती है।
ऐसी कई महिलाएं है, जो आईवीएफ तकनीक से मां बने का सुख पा चुकी हैं। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है IVF तकनीक और इससे जुड़ी जरूरी बातें।
क्या हैं आईवीएफ (IVF Technique)?
IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) यानि टेस्ट ट्यूब बेबी ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें महिलाओं के गर्भाशय में दवाइयों व इंजैक्शन की मदद से एक से अधिक अंडे बनाए जाते हैं। फिर सर्जरी के जरिए अंडों को निकाला जाता है और अल्ट्रासाउंड का यूज कर अंडे लैब में पति के शुक्राणुओं (स्पर्म) के साथ मिलाकर फर्टिलाइजेशन के लिए 2-3 दिन तक रखा जाता है। फिर इसे महिला के गर्भ में इम्प्लांट किया जाता है। इम्प्लांटेशन के 14 दिनों बाद ब्लड या प्रेगनेंसी टेस्ट के जरिए इसकी सफलता का पता लगाया जाता है।
कितने समय में बन सकती हैं मां?
IVF में अंडे इंप्लांट करने के 12-14 दिन बाद टेस्ट किया जाता है, जिसमें इसकी सफल का पता चलता है। इस प्रक्रिया से महिला के मां बनने के संभावना करीब 70% तक होती है। कई बार इस प्रक्रिया से जुड़ा बच्चे भी हो जाते हैं क्योंकि इसमें गर्भाशय में एक से अधिक अंडे बनाए जाते हैं।
क्या उम्रदराज महिलाओं के लिए सही है ये ट्रीटमेंट?
आजकल महिलाएं अपने करियर के चक्कर में जल्दी कंसीव नहीं करती, जिससे बाद में प्रेगनेंसी में दिक्कत आती है। दरअसल, 30 के बाद महिलाओं की प्रजनन क्षमता कमजोर हो जाती है वहीं 40-50 के बाद तो प्रेगनेंसी के चांसेस ना के बराबर होते हैं। वहीं अगर पीरियड्स बंद हो जाए तो मां बनने में और भी दिक्कत आती है ऐसे में आप बेफ्रिक होकर आईवीएफ ट्रीटमेंट ले सकती हैं।
आईवीएफ के बारे में लोगों की धारणाएं
यूं तो IVF तकनीक आम हो चुकी है लेकिन फिर भी महिलाओं के मन में इसे लेकर काफी सवाल होते हैं जैसे कि इसमें बच्चा उनका होता है या नहीं, इससे गर्भपात तो नहीं होगा वगैरह। बता दें कि IVF में अंडा पत्नी और शुक्राणु पति के ही होते हैं इसलिए इससे पैदा होने वाला बच्चा आपका ही होगी। दूसरी बात कि इसमें गर्भपात की खतरा बेहद कम होता है।
IVF के साइड इफेक्ट्स
. वैसे तो यह तकनीक बिल्कुल सुरक्षित है लेकिन फिर भी इसमें कुछ साइड-इफैक्ट्स देखने को मिलते हैं, जैसे र्मी लगना, सिरदर्द, जी-मिचलाना।
. वहीं कई बार इससे जुड़वां बच्चे का जोखिम भी रहता है क्योंकि इस तकनीक में एक से अधिक भ्रूण डाले जाते हैं। हालांकि कुछ लोग जुड़वां बच्चे चाहते भी हैं।
. कई बार इससे शिशु को 'स्पाइना बिफिडा' यानी रीढ़ की हड्डी संबंधी बीमारियों का खतरा भी रहता है।
सावधानियां बरतना भी जरूरी
-ट्रीटमेंट के बाद बाथटब में स्नान ना करें क्योंकि इससे अंडा अपनी जगह से हट सकता है।
-ज्यादा हैवी वर्कआउट करने से बचें। इसकी बजाए सैर, प्रणायाम या मेडिटेशन करें।
-जंक फूड्स, सिरगेट, शराब आदि का सेवन भी ना करें।
-ज्यादा भारी सामान ना उठाएं और आराम करें।
-डाइट में हरी सब्जियां, नट्स और फल अधिक लें। साथ ही ज्यादा पानी पीएं।
-इस दौरान संबंध बनाने से भी बचें। इससे इंफैक्शन का खतरा हो सकता है।