जिंदगी में कईं बार हम उम्र से नहीं बल्कि हालातों के कारण बड़े हो जाते हैं। जब हम पर दुनिया भर की जिम्मेदारियां आ जाती हैं तो घर का छोटा बच्चा भी बड़ा बन जाता है और जब भी परिवार को पालने की बात आती है तो भगवान हमें खुदबखुद ही शक्ति दे देते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं जो खुद तो बिना किसी का सहारा लिए एक कदम तक नहीं चल सकती है लेकिन उसने हार नहीं मानी। समाज के तानों को अनदेखा कर वो आगे बढ़ती गई और आज वह न सिर्फ खुद बल्कि बाकी महिलाओं को भी सशक्त बना रही है।
दरअसल हम बात कर रहे हैं बाराबंकी जिले की रहने वाली दुर्गेश कुमारी की। वो दुर्गेश जिसने कभी अपनी दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनाया और आज वह अपने भाई बहन की भी जिम्मेदारी संभाल रही हैं और दूसरी महिलाओं को भी सिलाई सिखा रही है।
माता-पिता की मौत के बाद भाई बहनों को दुर्गेश ने संभाला
दरअसल दुर्गेश के माता-पिता इस दुनिया में नहीं हैं और भाई बहनों में से सबसी बड़ी होने के कारण माता पिता की मौत के बाद उन पर भाई बहनों की भी जिम्मेदारी आ पड़ी। माता पिता की मौत के बाद वह टूटी नहीं बल्कि खुद के लिए और अपने भाई बहन के लिए उन्होंने जिंदगी जी और आज वह अपने जीवन में एक सफल महिला हैं।
कैंसर से हुई पिता की मौत
दरअसल दुर्गेश के पिता को कैंसर था जिसके कारण उनकी मौत हो गई। पिता की मौत के बाद उनकी जिंदगी में दूसरा दुख तब आया जब उनकी मां ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया।
मां से सीखी सिलाई-कढ़ाई को बनाया हथियार
दुर्गेश की मानें तो माता पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई। ऐसे में उन्होंने अपनी मां से जो सिलाई कढ़ाई सीखी थीं उसे ही अपनी असल ताकत बना दिया। जिसके बाद इसी सिलाई से दुर्गेश ने अपने परिवार को पाला इतना ही नहीं वह अपने आस-पास रह रहीं महिलाओं को भी सिलाई सिखाने लगीं।
गरीब महिलाओं को दे रहीं नि:शुल्क प्रशिक्षण
दुर्गेश ने कभी दूसरों से खुद को कम नहीं समझा और यही वजह है कि आज वह अपने जीवन में सफल हैं। दुर्गेश के पास सिलाई सीखने आती महिला की मानें तो दुर्गेश ने माता पिता की मौत के बाद घर पर ही कपड़े सिलना शुरू किया और उन्होंने अन्य महिलाओं को भी इसकी सीख देने के लिए मुहिम चलाई। इतना ही नहीं दुर्गेश गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को फ्री में प्रशिक्षण दे रही हैं।
ठीक से बोल भी नहीं पाती हैं दुर्गेश
दुर्गेश जहां चल नहीं पाती वहीं वह ठीक से बोल भी नहीं पाती हैं लेकिन ऐसे हालात में भी उनके मन में एक ही जज्बा है कि खुद कमाओ और किसी पर बोझ मत बनो। ठीक न बोल पाने के कारण भी वह महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही हैं।
सच में हम दुर्गेश के इस जज्बे को सलाम करते हैं। दुर्गेश आज उन सभी के लिए एक मिसाल कायम कर रही हैं जो खुद को दूसरों से कम समझते हैं।