कश्मीर मुद्दे का राग अलापने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को इस बार भारत की बेटी ने ऐसा जवाब दिया, जिसे वह ताउम्र भूल नहीं पाएंगे।संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के मंच पर पाक को बेनकाब करते हुए कहा कि यह एक ऐसा देश है जहां आतंकवादी बेरोक-टोक आ जा सकते हैं। यह वह देश है जिसने खुद आग लगायी है और आग बुझाने वाले के रूप में खुद को पेश करता है।
स्नेहा दुबे पर भारत को गर्व
इमरान खान को पूरी दुनिया के सामने आईना दिखाने वाली स्नेहा दुबे पर भारत गर्व कर रहा है। स्नेहा ने जिस कड़ाई से पाकिस्तान को लताड़ा है वह काबिले तारीफ है। गोवा में पली-बढ़ीं स्नेहा को हमेशा से इंडियन फॉरन सर्विस जॉइन करना चाहती थीं। उन्होंने 12 साल की उम्र में ही तय कर लिया था कि उन्हें सिविल सर्विसेज में ही जाना है।
2012 बैच की महिला अधिकारी हैं स्नेहा
स्नेहा दुबे ने पहले अटेम्प्ट में ही यूपीएससी में सफलता प्राप्त की थी। वे 2012 बैच की महिला अधिकारी हैं। आईएफएस बनने के बाद उनकी नियुक्ति विदेश मंत्रालय में हुई. उन्हें 2014 में भारतीय दूतावास मैड्रिड में भेजा गया। स्नेहा बताती हैं कि उनका उनका बस एक ध्येय था सिविल परीक्षा पास करना और दूसरे विकल्पों को रखने से वह इस पर से ध्यान भटकाना नहीं चाहती थीं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में थी दिलचस्पी
इस बहादुर बेटी ने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से ग्रैजुएशन के बाद नई दिल्ली की जवाहरलाल यूनिवर्सिटी से जियॉग्रफी में मास्टर्स की पढ़ाई की। अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में दिलचस्पी के चलते उन्होंने JNU में ही स्कूल ऑफ इंटरनैशनल स्टडीज में एमफिल की पढ़ाई पूरी की।
पाकिस्तान को दिखाया आईना
दुबे ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर कहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों को इस उम्मीद में पालता है कि वे केवल अपने पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाएंगे। क्षेत्र और वास्तव में पूरी दुनिया को उनकी नीतियों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है। दूसरी ओर, वे अपने देश में सांप्रदायिक हिंसा को आतंकवादी कृत्यों के रूप में छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।’’
मेरे देश के खिलाफ झूठ फैला रहा पाक: स्नेहा
स्नेहा ने आगे कहा कि यह खेदजनक है और यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के नेता ने मेरे देश के खिलाफ झूठ फैलाने और दुष्प्रचार के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंच का ‘‘दुरुपयोग’’ किया है और दुनिया का ध्यान अपनी ओर से हटाने का भरसक प्रयास किया है। उनके देश में जहां आतंकवादी बेरोक टोक खुलेआम आ जा सकते हैं, जबकि आम लोगों विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का जीवन इसके उलट हो जाता है।’’