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देर रात स्मार्टफोन देखने वाले बच्चों में बढ़ रहा आईस्ट्रोक का खतरा : रिसर्च

  • Edited By khushboo aggarwal,
  • Updated: 31 Oct, 2019 02:57 PM
देर रात स्मार्टफोन देखने वाले बच्चों में बढ़ रहा आईस्ट्रोक का खतरा : रिसर्च

रात के समय ज्यादातर बच्चे अंधेरे में स्मार्टफोन देखते है, पेरेंट्स के मना करने के बाद भी वह नहीं हटते है। हाल में हुई रिसर्च के अनुसार बच्चों में आई स्ट्रोक और आंखें टेढी होने का खतरा अधिक बढ़ रहा है। हाल ही में चीन में स्मार्टफोन देखने की लत के कारण वांग नामक युवक की आंखों की रोशनी चली गई है। डॉक्टर्स के अनुसार रात को सोते समय देर तक स्मार्टफोन देखने और गेम्स खेलने के कारण आई स्ट्रोक हुआ व एक ही झटके में उसकी आंखों की रोशनी चली गई।


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क्या है आई स्ट्रोक

दिमाग में होने वाले स्ट्रोक की तरह ही जब रेटिना तक पहुंचने वाले रक्त का प्रवाह रुक जाता है तब आई स्ट्रोक होता है। रेटिना ऊतकों की एक पतली परत है जो देखने में मदद करती है। आई स्ट्रोक से दृष्टि काफी कमजोर हो जाती है या फिर दिखना पूरी तरह से बंद हो जाता है। रक्त का प्रवाह रुकने से रेटिना को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और कुछ मिनटों या घंटों में कोशिकाएं मरने लगती हैं।

लगातार बढ़ रहा बच्चों के चश्मे का नंबर

आधुनिक इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों मोबाइल फोन, टैब और लैपटॉप देखने के कारण बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ता है। इससे बच्चों की दूर की नजर कमजोर हो रही है। लगातार नजदीक से देखने के कारण आंखों पर जोर पड़ता है और उनमें रूखापन आ जाता है। इससे बच्चों की आंखें टेढ़ी होती जा रही हैं। उनके चश्मे का नंबर बढ़ता है।

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रेटिना में नहीं पहुंचती ऑक्सीजन

सैंट्रल रेटिनल आटोओकक्लूशन को आई स्ट्रोक भी कहा जाता है। इसमें आंखों के रेटिना में ऑक्सीजन पहुंचाने वाली धमनियों सिकूड़ जाती है या वह कार्य करना रोक देती है। इस बीमारी से दुनियाभर में 2 करोड़ से ज्यादा लोग पीड़ित हैं। 

 

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