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पत्नी हैसियत से ज्यादा सपने पूरे करने का बना रही थी दबाव, हाईकोर्ट ने कही बड़ी बात

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 04 Feb, 2024 02:06 PM
पत्नी हैसियत से ज्यादा सपने पूरे करने का बना रही थी दबाव, हाईकोर्ट ने कही बड़ी बात

शादी एक गाड़ी की तरह होती है और पति- पत्नी दो पहियों की तरह। दोनों में अगर बैलेंस न हो, तो गाड़ी आगे नहीं बढ़ पाती है और न ही शादी। अगर शादी में दोनों पत्नी- पत्नी एक दूसरे को न समझें और साथ न दें तो रिश्तों में दरार आ जाती है। ऐसे ही कुछ हुआ दिल्ली के कपल के बीच, जिसमें पत्नी की सपने पति की हैसियत से कहीं ज्यादा थे,  जिसके चलते मामला तलाक तक जा पहुंचा। इसकी सुनवाई करते हुए जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने पत्नी द्वारा क्रूरता के आधार पर कपल के तलाक को बरकरार रखते हुए कहा कि, - 'पत्नी द्वारा है पति की हैसियत से ज्यादा सपने पूरे करने के लिए उस पर दबाव बनाना मानसिक तनाव का कारण है'।

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पति की फाइनेंसियल सीमाओं की लगातार याद नहीं दिलानी चाहिए- दिल्ली हाईकोर्ट 

रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस ने कहा कि एक पत्नी को किसी व्यक्ति की फाइनेंसियल सीमाओं की लगातार याद नहीं दिलानी चाहिए। साथ में ये भी कहा कि व्यक्ति को जरूरतों, चाहकों और इच्छाएं के बीच सावधानी से चलना चाहिए। दरअसल, पत्नी ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश तो चुनौती दी थी, जिसमें उसके पति द्वारा क्रूरता के आदार पर उसे तलाक देने और इस मामले में डिक्री पारित होने के एक साल बाद तक वैवाहिक आधिकारों की बहाली नहीं होने के कारण उसे तलाक दे दिया गया था।

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पीठ ने आगे कहा कि पति द्वारा समग्र आचरण और पत्नी के गैर-समायोजित रवैये के बारे में बताई गई अलग-अलग घटनाएं, जिसमें उसके साथ मतभेदों को दूर करने के लिए परिपक्वता की कमी थी।  नतीजन अनूठा निष्कर्ष निकला कि इस तरह के व्यवहार से निश्चित रूप से इससे उसे चिंता होती है और उसकी मानसिक शांति भंग होती है। पीठ ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (ए) (ii) के तहत जोड़े के तलाक को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया है कि यदि एक वर्ष की अवधि के लिए धारा 9 के तहत डिक्री के बावजूद वैवाहिक अधिकारों की बहाली नहीं होती है, तो कोई भी पक्ष मांग कर सकता है।

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