हिंदू धर्म में हर महीने को अलग-अलग नाम दिए गए है। इसके साथ ही इनकी अलग ही मान्यताएं है। इनमें आषाढ़ मास बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानी 25 जून से यह शुभ महीना शुरु हो गया है। यह मास भगवान शिव और श्रीहरि को समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस मास पूरी श्रद्धा व विधि-विधाने से देवी-देवताओं की पूजा करने से शुभफल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही न्याय के देवता शनिदेव की पूजा करने से उनकी असीम कृपा मिलती है।
श्रवण नक्षत्र गोचर कर रहे हैं शनि देव
बता दें, इस दौरान शनिदेव श्रवण नक्षत्र में गोचर कर रहे हैं। वे इस समय दसवीं राशि मकर में विराजमान हैं। इसका मतलब है कि इस समय शनिदेव अपनी उल्टी चाल चल रहे हैं।
इन राशियों पर चल रही शनि की साढ़ेसाती
जैसे कि सभी जानते हैं कि शनि की साढ़ेसाती लगने पर जीवन में समस्याएं झेलनी पड़ती है। इस समय शनिदेव की साढ़ेसाती धनु, मकर और कुंभ राशि के जातकों पर चल रही है। इस साल शनिदेव का कोई राशि परिवर्तन ना होने पर वे मकर राशि में ही रहेंगे। साढ़ेसाती के समय में न्याय के देवता शनिदेव कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर ही सामने वाले को अच्छा व बुरा फल देते हैं।
इन राशियों पर बनी हुई शनि की ढैय्या
बात शनि की ढैय्या चलने की करें तो यह इस समय मिथुन और तुला राशि पर बनी है। शनि देव की चाल बाकी ग्रहों की तुलना में बहुत ही धीमी होती है। इसलिए वे एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए करीब ढ़ाई का साल समय लगाते हैं। ऐसे में एक व्यक्ति को करीब ढ़ाई साल तक शनि की ढैय्या का सामना करना पड़ता है।
ऐसा होता है शनिदेव का अशुभ प्रभाव
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, शनि देव की कूदृष्टि किसी पर पड़ने पर सामने वाले को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इससे उसे जॉब, करियर, शिक्षा व दांपत्य जीवन में समस्याएं झेलनी पड़ सकती है। इसके अलावा शरीर बीमारियों की चपेट में भी आ सकता है। इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करके शनिदेव को शांत करना जरूरी माना जाता है।
शनिदेव को शांत करने के उपाय
25 जून से आषाढ़ का महीना आरंभ हो चुका है। कल इस मास का पहला महीना है। ऐसे में इस शुभ दिन पर घर के किसी पास के शनि मंदिर में सरसों तेल लेकर जाएं। फिर उस तेल को शनिदेव की मूर्ति पर चढ़ा दें।
- किसी गरीब, बेसहारा व जरूरतमंद को काले तिल दान में दें।
- आषाढ़ मास में किसी गरीब व जरूरतमंद को काले रंग का छाता दान करना उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इससे कुंडली में शनि की दशा शांत होती है। साथ ही शनि के अशुभ प्रभाव से छुटकारा मिलता है।