हमारे हिन्दू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। इस दिन जो भी व्यक्ति पूरे दिल से शनिदेव की विधि विधान से पूजा अर्चना करता है। शनिदेव उसके सारे दुख दूर कर देते है और उसकी झोली खुशियों से भर देते है। शास्त्रों में शनि ग्रह का विशेष महत्व है यह भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं जोकि न्याय के देवता कहलाते है। शनिदेव से जुड़ी कई बातों के बारे में हम में से कई लोग जानते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अन्य देवी- देवताओं की तरह शनिदेव की मूर्ति घर में क्यों नहीं रखी जाती है तो हम आपको बताते हैं इसके पीछे के कारण।
घर में न रखें शनिदेव की मूर्ति
कहा जाता है कि घर में शनिदेव की मूर्ति रखने से सबकुछ अनिष्ट होना शुरू हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि न्याय के देवता शनिदेव को श्राप मिला हुआ है कि जिसे भी वह देखेंगे उसके जीवन में सब अनिष्ट ही होगा। यही कारण है कि लोग शनिदेव की मूर्ति घर पर नहीं रखते। वहीं दूसरी बात अगर आप पूजा पाठ के लिए मंदिर में शनिदेव के दर्शन करने जा रहे है, तो ध्यान रहे तो उनके पैरों की तरफ देखें न कि उनकी आंखों में आंख डाल कर उनके दर्शन करें। यह सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह है। जिस कारण लोगों पर इनका शुभ और अशुभ दोनों तरह का प्रभाव काफी दिनों तक रहता है। शनिदेव के नकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति का जीवन बहुत ही दुखदायी हो जाता है।
साढ़ेसाती और ढैय्या
कहा जाता है कि जिस किसी व्यक्ति पर इनकी साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही हो उसका जीवन खराब हो जाता है। उसके जीवन में तमाम तरह की बाधाएं आने लगती है। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे है तो आपको शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन इन्हें नीले रंग का फूल अर्पित करें और ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें। अपराजिता का फूल नीले रंग का होता है, यह फूल शनिदेव को बहुत प्रिय है। शनिवार के दिन 5, 7, 11 अपराजिता के फूल लेकर शनिदेव के चरणों में चढ़ा दें, शनिदेव जल्द प्रसन्न हो जाएंगे और शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूरी हो जाएगी।