नारी डेस्क: अगर आपकी गर्मी की छुट्टियां पहले से ही एक दूर की याद की तरह लगती हैं, तो आप अकेले नहीं हैं। बर्नआउट - लंबे समय तक तनाव के बाद भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक थकावट की स्थिति है। हालांकि कुछ लोग बर्नआउट को डिप्रेशन समझने की गलती कर बैठते हैं। दोनों ही मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हैं, लेकिन दोनों में अंतर होता है। आइए जानते हैं कि इनमें क्या फर्क है और कैसे पहचानें कि आपको कौन सी समस्या हो रही है।
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बर्नआउट क्या है?
बर्नआउट एक ऐसी स्थिति है, जब व्यक्ति लगातार तनाव, काम का दबाव और थकान की वजह से मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह टूट जाता है। यह मुख्य रूप से पेशेवर जीवन (वर्कप्लेस) या अधिक जिम्मेदारियों के कारण होता है। बर्नआउट में व्यक्ति का काम में मन नहीं लगता, ऊर्जा खत्म हो जाती है और थकान महसूस होती है।

बर्नआउट के लक्षण:
- लगातार थकान और कम ऊर्जा महसूस होना
- काम में रुचि या प्रेरणा की कमी
- नींद की कमी या बहुत ज्यादा नींद आना
- चिड़चिड़ापन और गुस्सा आना
- निर्णय लेने में मुश्किल होना
- सिरदर्द या मांसपेशियों में दर्द
- सामाजिक दूरी बनाना
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डिप्रेशन क्या है?
डिप्रेशन एक मानसिक स्वास्थ्य विकार (mental disorder) है, जो व्यक्ति की सोच, व्यवहार और भावनाओं को प्रभावित करता है। इसमें व्यक्ति को लगातार दुख, निराशा, अकेलापन और जीवन में रुचि की कमीमहसूस होती है। यह केवल काम से जुड़ा नहीं होता, बल्कि व्यक्ति के पूरे जीवन को प्रभावित करता है।
डिप्रेशन के लक्षण:
- हर समय दुखी और निराश महसूस करना
- किसी भी काम में रुचि न होना (हॉबी या पसंदीदा काम में भी मन न लगना)
- नींद की समस्या (कम या ज्यादा सोना)
- वजन का बढ़ना या घटना
- आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने का विचार आना
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई

बर्नआउट और डिप्रेशन में कैसे करें पहचान?
बर्नआउट काम से जुड़ा होता है, यानी व्यक्ति ऑफिस या पेशेवर जीवन में ही थका हुआ और निराश महसूस करता है। जबकि डिप्रेशन जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करता है। व्यक्ति को किसी भी चीज में रुचि नहीं रहती, भले ही वह उसकी पसंदीदा गतिविधि क्यों न हो। बर्नआउट कुछ दिनों की छुट्टी या काम से ब्रेक लेने पर व्यक्ति सामान्य महसूस कर सकता है। डिप्रेशन में छुट्टी या ब्रेक लेने के बाद भी व्यक्ति दुखी और निराश ही महसूस करता है।
बर्नआउट से बचाव के उपाय
वर्क-लाइफ बैलेंस: काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखें।
ब्रेक लें: काम के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक लें।
हॉबी पर ध्यान दें: रोजाना कम से कम 30 मिनट अपनी पसंदीदा एक्टिविटी करें।
ना कहना सीखें: जरूरत से ज्यादा काम लेने से बचें।
योग और मेडिटेशन करें: तनाव कम करने के लिए ध्यान और प्राणायाम करें।
डिप्रेशन से बचाव
सोशल सपोर्ट: परिवार और दोस्तों से बात करें।
मेडिकल हेल्प लें: लंबे समय तक डिप्रेशन महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
फिजिकल एक्टिविटी करें: रोजाना हल्की एक्सरसाइज या वॉक करें।
सकारात्मक सोच अपनाएं: खुद को सकारात्मक विचारों से प्रेरित करें।
पोषक आहार लें: हेल्दी डाइट, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर खाना खाएं।
नोट: अगर आप लंबे समय तक थकावट, निराशा या उदासी महसूस कर रहे हैं, तो मनोवैज्ञानिक या डॉक्टर की सलाह जरूर लें।