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#boislockeroom की सच्चाई ने एक बार फिर छीना किसी और का इंसाफ!

  • Edited By shipra rana,
  • Updated: 11 May, 2020 01:27 PM
#boislockeroom की सच्चाई ने एक बार फिर छीना किसी और का इंसाफ!

सबको पता है कि #boislockeroom की सच्चाई ने हर सोशल नेटवर्किंग साइट पर एक तूफ़ान खड़ा कर दिया है। ये काम किसी लड़के ने नहीं बल्कि लड़की ने किया था। दिल्ली पुलिस ने केस की तह तक जाकर सच्चाई आखिर ढूंढ ही निकाली। आज के दौर के जज यानी ट्विटर हो या इंस्टाग्राम भी अपना-अपना फैसला सुना रहे है। हर कोई अपना ओपिनियन सरेआम सबके सामने रख रहा है। यह बेहद अच्छा है कि जनता अब इंसाफ का इंतजार नहीं करती वो सजा सुना देती है। अपना समर्थन किसे देना है वो जानती है। मगर इनसब में एक बात हुई है। इस केस में जिसके साथ अपराध हुआ था वही अपराधी है। इससे एक बार फिर किसी और विक्टिम का इंसाफ शायद छीन गया है। 

 

#boislockeroom की सच्चाई जैसे ही बाहर आई यानि कि एक जूविनाइल लड़के ने नहीं बल्कि यह एक जूविनाइल लड़की का काम है। अचानक से हर उस लड़के के भी ओपिनियन बाहर आने लगे जिसका कल तक कोई ओपिनियन था ही नहीं। सच का कोई जेंडर नहीं होता। यह बात फेमिनिज्म की नहीं है न ही बात है कि कौन-सा जेंडर गलत है। यह बात इसकी है कि आखिर हम इंटरनेट की दुनिया में रेप (लड़के/लड़की/किसी का भी हो सकता है) की बात कर रहे है। इस दुनिया में जीने के लिए या लोगों की नजरों में आने के लिए ऐसी बातों पर एक ओपिनियन देते है। जोकि सही भी है मगर फिर उसपर मुद्दे उठते है। वो बात ट्रेंडिंग हो जाती है। कुछ दिनों बाद वो महज एक खबर बनकर रह जाती है। उस लड़की ने यह गलत एक्ट कर उन लोगों (हर कोई) जिसे इंसाफ मिलना चाहिए उनका भी मौका छीन लिया है। शायद मुझे जेंडर से ज्यादा अपराधी शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि गुनाह करने वाले का कोई लिंग,धर्म या महजब नहीं होता। वो तो बस गुनहगार होता है। आपको बतादें कि पुलिस ने न तो उस जूविनाइल लड़के को सजा सुनानी थी या जूविनाइल लड़की को सुनाई। देखा जाए तो हर अपराध की सजा जेल नहीं होती , नैतिक शिक्षा भी होती है। ऐसे मैल को साफ़ करना चाहिए। जो एक्ट्स (फेमिनिज्म, ह्यूमनिस्ट ) समाज की भलाई के लिए बने है उन्हें ब्लेम नहीं करना चाहिए। 

 

 

पहले अपराध को जेंडर के हिसाब से बांट दिया जाता था। अगर हमेशा से ऐसा होता आया है। तो इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसा ही चलता रहेगा। आखिर में यही सवाल सबके जहन में आता है कि 'जहां पर ये फेक इंटरनेट चैट वायरल हुई है, वहीं जहां सच में ऐसा हो रहा है क्या हम वहां का सच ढूंढ पाएंगे ? हमने फेक खबर को तो वायरल कर दिया मगर सच की खबर कब इंसाफ का रास्ता ढूंढ पाएगी।आइए आपको दिखाते है कि ट्विटर पर लोगों ने क्या-क्या कहा है....... 

 

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