भारत में छठ पूजा का पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और सूर्यदेव की उपासना करती हैं। मान्यता के अनुसार, सूर्यदेव की अराधना करने से छठ माई प्रसन्न होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इस साल यह पर्व 18 नवंबर से 21 नवंबर तक मनाया जाएगा। हालांकि बृहन्मुंबई महानगर पालिका ने कोरोना महामारी के संकट को ध्यान में रखते हुए नदी, तालाबों के किनारे छठ पूजा करने पर रोक लगा दी है।
मुंबई में छठ पूजा पर रोक
इसके अलावा निकाय संस्था ने श्रद्धालुओं से भीड़भाड़से बचने की भी अपील की है। बीएमसी की तरफ से जारी किए गए निर्देश में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर आयोजित होने वाली छठ पूजा पर रोक लगा दी गई है। क्योंकि बड़ी संख्या में समुद्र तट और नदी किनारे पर लोगों के इक्ट्ठा होने से कोरोना महामारी से बचाव में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कराने में मुश्किल होगी। इसके साथ ही बीएमसी ने कहा है कि विभागीय स्तर पर संस्थाओं की तरफ से अनुमति मांगने पर कृत्रिम तालाब बनाने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि पूजा स्थल पर इस दौरान मेडिकल टीम तैनात रहेगी। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर एंटीजन व आरटी-पीसीआर टेस्ट भी किए जाएंगे।
दिल्ली में भी लगी रोक
दिल्ली में कोरोना संक्रमित के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जिसे देखते हुए सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा करने पर रोक लगा दी गई है। केजरीवाल सरकार ने इस बार लोगों से छठ पूजा अपने घरों या फिर किसी निजी स्थल पर मनाने की अपील की है। हालांकि इस दौरान भी कोरोना महामारी के दिश निर्देशों का पालन करना जरूरी है।
झारखंड सरकार ने भी लगाई रोक
इससे पहले कोरोना महामारी के संकट को ध्यान में रखते हुए झारखंड सरकार ने राज्य में नदियों और तालाबों के तट पर होने वाली छठ पूजा पर रोक लगा दी है। इसके अलावा इस मौके पर होने वाले संगीत कार्यक्रम के आयोजन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। दरअसल, पानी के माध्यम से कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका के कारण ये रोक लगाई गई है। इसे लेकर सरकार की तरफ से निर्देश भी जारी किए गए हैं।