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बच्चों में मोटापा क्यों बढ़ रहा है, Parents कैसे रखें उनका ध्यान? जानें क्या कहते हैं Experts

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 24 May, 2025 02:29 PM
बच्चों में मोटापा क्यों बढ़ रहा है, Parents कैसे रखें उनका ध्यान? जानें क्या कहते हैं Experts

नारी डेस्क: आजकल बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जो न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है बल्कि भविष्य में गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकती है। मोटापा बच्चों में हार्ट की बीमारियों, डिप्रेशन, डायबिटीज और अन्य कई समस्याओं को जन्म देता है। इसलिए माता-पिता को अपने बच्चों की सेहत पर खास ध्यान देना बेहद जरूरी हो गया है। आइए जानते हैं, बच्चों में मोटापे के कारण, इसके दुष्प्रभाव और इसे रोकने के लिए डॉक्टर क्या सलाह देते हैं।

बच्चों में मोटापे के बढ़ने के कारण

आज के समय में बच्चे भी मोटापे का शिकार हो रहे हैं। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं, जैसे-

प्रोसेस्ड और जंक फूड का अधिक सेवन

मीठे और शर्करायुक्त ड्रिंक्स का बढ़ता उपयोग

स्क्रीन टाइम (मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर) का ज्यादा होना

पर्याप्त नींद न लेना

शरीर में टॉक्सिन्स का बढ़ना

वायरल संक्रमण और एंडोक्राइन (हार्मोन) डिसऑर्डर

आंत में खराब माइक्रोबायोटा (बैक्टीरिया) का असंतुलन 

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इन कारणों की वजह से बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अब मोटापे का स्तर बच्चों में 10% से बढ़कर लगभग 20% तक पहुंच गया है।

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मोटापे से होने वाली समस्याएं

बच्चों में मोटापा सिर्फ उनके वर्तमान स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं, बल्कि यह वयस्कता में भी बने रह सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, लगभग 80% मोटे बच्चे बड़े होकर भी मोटापे से ग्रसित रहते हैं। मोटापा मेटाबॉलिक प्रोग्रामिंग से जुड़ा होता है, जिससे कई प्रकार के मेटाबॉलिक विकार होते हैं। मोटापे के कारण बच्चों को निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं-

हार्ट से जुड़ी बीमारियां

एकैंथोसिस (त्वचा में काले धब्बे)

डिप्रेशन और मानसिक तनाव

डायबिटीज (शुगर)

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसी महिला स्वास्थ्य समस्याएं

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डॉक्टर की सलाह: बच्चों के मोटापे पर कैसे करें ध्यान?

मोटापे की समस्या बच्चों में 10 साल की उम्र से शुरू हो सकती है। इसलिए इस उम्र से ही समय-समय पर बच्चों का जांच-परख करना आवश्यक है। डॉक्टर निम्नलिखित जांच करने की सलाह देते हैं-

ब्लड प्रेशर और शुगर की नियमित जांच

HbA1C टेस्ट (लंबे समय तक ब्लड शुगर का स्तर जांचने के लिए)

लिपिड प्रोफाइल (कोलेस्ट्रॉल और फैट की जांच)

स्लीप एपनिया (नींद में सांस की रुकावट) की निगरानी

बच्चों को खेल-कूद और शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लेना चाहिए। इसके साथ ही हेल्दी और संतुलित आहार देना चाहिए, जो बच्चों को पसंद आए और पौष्टिक भी हो।

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माता-पिता कैसे करें बच्चों की मदद?

मोटापे को रोकने के लिए माता-पिता को भी घर में कुछ जरूरी बदलाव करने होंगे। पूरे परिवार में स्वस्थ भोजन की आदतें अपनाएं। खाने के दौरान और बच्चों के खेलते वक्त स्क्रीन टाइम कम करें। बच्चों के सोने वाले कमरे में टीवी या मोबाइल न रखें। घर पर ताजी और पौष्टिक सब्जियां, फल और खाना दें।बच्चों को नियमित समय पर सोने की आदत डालें। योग और ध्यान जैसी मानसिक और शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करें।
 
बच्चों में मोटापे की समस्या गंभीर होती जा रही है, लेकिन सही देखभाल और उचित जीवनशैली अपनाकर इसे रोका जा सकता है। माता-पिता का ध्यान और सही मार्गदर्शन बच्चों के स्वस्थ और खुशहाल जीवन की कुंजी है। अगर आप अपने बच्चे में मोटापे के लक्षण देखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और समय पर सही इलाज कराएं।
 
 

 

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