अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के खास मौके पर आज हम आपको ऐसी पावरफुल महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने लगभग हर जगह अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। हम बात कर रहे हैं कि नीता अंबानी की जो आज भारत की सबसे अमीर और दमदार महिला मानी जाती है, तभी तो उन्होंने 'फॉर्च्यून इंडिया' की सबसे शक्तिशाली महिला का प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने नाम कर लिया है। देश के अमीर बिजनेसमेन मुकेश अंबानी की पत्नी भले ही मिडल क्लास फैमिली से तालुक्क रखती थी, लेकिन आज उन्होंने एक एजुकेशनिस्ट, एक आर्टिस्ट, एक बिजनेसवुमन के रूप में अलग पहचान बना ली है। चलिए आज जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें, जिसकी जानकारी शायद ही हर किसी को हो
शादी से पहले टीचर थी नीता
अंबानी परिवार की बहू एक बहुत ही साधारण परिवार से आती हैं। शादी से पहले नीता अपने पिता रविंद्रभाई दलाल, मां पूर्णिमा दलाल और बहन ममता दलाल के साथ बहुत साधारण तरीके से जीवन जीती थी। परिवार के संस्कार ऐसे थे कि धीरूभाई अंबानी ने नीता को देखते ही अपने बेटे मुकेश अंबानी के लिए पसंद कर लिया था। शादी से पहले वह एक टीचर थी और करीब 700 रु. महीना वेतन लेती थी लेकिन अंबानी बहू बनने के बाद नीता अंबानी की पूरी जिंदगी ही बदल गई।
क्लासिकल डांसर हैं अंबानी परिवार की बहू
नीता अंबानी एक ट्रेंड इंडियन क्लासिकल डांसर हैं। भले ही वह आज एक बिजनेस वुमन है लेकिन उन्होंने अपने इस पैशन को कभी नहीं छोड़ा। यही कारण है कि वह किसी ना किसी खास माैके पर डांस परफार्मेंस देती नजर आ ही जाती है।
डांस क्लचर को देती है बढ़ावा
नीता ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह छः साल की थी जब से वह भरतनाट्यम सीख रही हैं। क्लासिक डांस उनकी एक ऐसी च्वाइस रहा है जिसने उन्हें आत्मविश्वास दिया और सशक्त किया। डांस उनके लिए एक मेडिटेशन है। नीता मुकेश अंबानी कल्चर सेंटर के जरिए इंडियन आर्ट एंड कल्चर को आगे बढ़ाने के भरसक प्रयासों में लगी है।
शिक्षा को लेकर उठाए बड़े कदम
शादी के समय नीता ने मुकेश अंबानी से वादा लिया था कि वह शादी के बाद अपना काम नहीं छोड़ेगी और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देते हुए दक्षिण मुंबई के जामनगर में धीरुभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल की संस्थापना की। इसके बाद उन्होंने पातालंगगा प्लांट के पास एक ग्रामीण स्कूल शुरु किया। उन्होंने आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों की शिक्षा के लिए भी कई स्कूल खोलें हैं।
शादी के बाद बदली किस्मत
शादी के बाद नीता ने CSR में काम करने के साथ रिलांयस फाउंडेशन में एक अध्यक्ष और संस्थापक के तौर पर अपना काम शुरु किया था। 2014 में वह रिलायंस इंडस्ट्रीज में बोर्ड सदस्य के रुप में नियुक्त की गई। इसके अलावा वह फ्रैंचाइजी क्रिकेट टीम- मुंबई इंडियंस की मालकिन भी है। 2016 में अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के सदस्य के रुप में निर्वाचित होने वाली वह पहली भारती महिला बनी।
आईवीएफ के जरिए मां बनी थी नीता
यह बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि शादी के 7 साल बाद नीता अंबानी ने आईवीएफ के जरिए जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था। बच्चों के जन्म के बाद नीता अंबानी ने अपना सारा वक्त उनकी परवरिश में लगाया और 5 साल बाद अपने काम पर वापसी की थी।
सुसर लेते थे क्लास
परिवार को कैसे तालमेल में रखना है, एक जुट रखना है? नीता ने अपने ससुर धीरुभाई अंबानी से सीखा है। वह कहती थी कि- , 'पापा एक कठिन टास्क मास्टर थे। वह हर दिन आधे घंटे की क्लास लेते और मुझसे देश-दुनिया के तमाम मुद्दों से लेकर शेयर मार्केट, पॉलिटिक्स, वर्ल्ड अफेयर्स और हमारी कंपनी रिलायंस से जुड़े सवाल पूछते थे, जिनका मैं ज्यादातर सही जवाब नहीं दे पाती थी। पापा हमें परख रहे थे कि हम कितना सीख चुके हैं। उनका सिखाया हुआ आज भी हमारे जेहन में ताजा है। '
अपने नाम कर चुकी है कई सम्मान
नीता अम्बानी को साल 2005 में इंटरनेशनल वुमन डे पर भारत नारी शक्ति संगठन की ओर से ‘समाज सेवा विश्व भूषण’ की उपाधि दी गयी हैं, ‘समाज सेवा विश्व भूषण’, ‘बिज़नेस की सबसे प्रभावशाली महिला’, ‘जेंट इंटरनेशनल अवार्ड’, ‘सबसे धनी महिला’, ‘सबसे प्रभावशाली महिला उद्योगपति’ और ‘लाइफ स्टाइल आइकॉन ऑफ़ द इयर 2013′ से भी सम्मानित किया जा चुका है।
महिलाओं के लिए लॉन्च किया 'Her Circle'
नीता अंबानी ने महिलाओं के लिए हर सर्किल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाया है। यह पहला ऐसा डिजिटल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म था जिसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना हैं। साथ ही महिलाओं को बातचीत, इंगेजमेंट, कोलैबोरेशन और आपसी सहयोग के लिए एक ऐसा स्पेस उपलब्ध करवाना है जो सुरक्षित हो। बता दें कि यह प्लेटफॉर्म हर उम्र वर्ग और हर समाज से आने वाली महिलाओं की जरूरतों को साथ ही उनकी महत्वाकांक्षाओं और सपनों को पूरा करता है।
लोगों को करती हैं हमेशा प्रेरित
नीता अंबानी का कहना है कि-अपनी विरासत से ज्यादा अपने पैशन को आगे बढ़ाना जरूरी है। अगर आपके पास एक उद्देश्य के साथ पैशन है तो बाकी सबकुछ फिट बैठ ही जाता है। मनुष्य के रूप में, हम जो कर सकते हैं वो है जितना संभव हो सहायता प्रदान करना।