हिंदू मान्यताओं और धार्मिक पुराणों के अनुसार, कार्तिक महीने को बहुत ही पवित्र और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। माना जाता है कि इस महीने के बाद भगवान विष्णु योगनिद्रा के बाद जागते हैं। इसलिए इन 4 महीनों के बाद शुभ कार्यों का भी आरंभ हो जाता है। कार्तिक महीने में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। इस महीने में दिवाली, तुलसी विवाह, करवाचौथ समेत कई व्रत बहुत ही धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन्हीं व्रतों में से एक है अक्षय नवमी। अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहते हैं। कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की तिथि को आंवला नवमी का त्योहार माना जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा विशेष रुप से की जाती है। लेकिन आंवले के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है और इसका क्या महत्व है आपको इसके बारे में बताएंगे...
आंवले के पेड़ की होती है पूजा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी भ्रमण के लिए पृथ्वी लोक पर आई थी। इसी दौरान रास्ते में उन्हें भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की बहुत इच्छा हुई। मां लक्ष्मी ने इस बात पर विचार किया की भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा एक-साथ कैसे हो सकती है। तुलसी भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय होती है वहीं दूसरी ओर बिल्वपत्र यानी बेलपत्र भगवान शिव के प्रिय हैं। ऐसे में मां लक्ष्मी के मन में यह ख्याल आया कि तुलसी और बेलपत्र के एक साथ गुण आंवले में पाए जाते हैं। इसलिए मां लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ को विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर आंवले के पेड़ की पूजा की। मां लक्ष्मी की पूजा से भगवान शिव और विष्णु प्रसन्न हुए और मां के सामने प्रकट हुए। मां लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाया और भगवान विष्णु और शिव को भोजन करवाया। भगवान विष्णु और शिव जी को भोजन करवाने के बाद मां लक्ष्मी ने स्वंय खाना खाया। जिस दिन मां लक्ष्मी ने शिव और भगवान विष्णु को खाना खिलाया उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि थी। तभी से यह दिन अक्षय नवमी या आंवला नवमी के रुप में मनाया जाने लगा ।
अक्षय नवमी का महत्व
माना जाता है कि आंवला वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, स्कंद में रुद्र, शाखाओं में मुनिगण, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और फलों में प्रजापति का वास होता है। इतने सारे गुणों से भरपूर आंवला नवमी के दिन इस पेड़ की पूजा करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा आज के दिन आंवले की पूजा करने से व्यक्ति का जीवन धन, विवाह, संतान, दांपत्य जीवन से जुड़ी समस्याएं भी खत्म होती हैं। यदि आप मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो अक्षय नवमी का दिन बहुत ही उत्तम माना जाता है।