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अगर आपको भी पैरों में दिखे ये बदलाव तो हो जाइए सतर्क – भूलकर भी न करें Ignore

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 20 May, 2025 09:52 AM
अगर आपको भी पैरों में दिखे ये बदलाव तो हो जाइए सतर्क – भूलकर भी न करें Ignore

नारी डेस्क: बहुत से लोग पैरों में लगातार दर्द या भारीपन की शिकायत करते हैं, खासकर वे लोग जो घंटों तक एक ही जगह पर बैठे रहते हैं। यह परेशानी केवल थकान नहीं बल्कि डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) नामक गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकती है। अगर समय पर इसका इलाज न हो तो यह खून का थक्का बनाकर फेफड़ों तक पहुंच सकता है, जिससे पल्मोनरी एंबोलिज़्म (Pulmonary Embolism) होने का खतरा बढ़ जाता है, जो जानलेवा हो सकता है।

DVT क्या है?

डीवीटी (Deep Vein Thrombosis) एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की गहरी नसों में, खासतौर पर पैरों में, खून का थक्का (ब्लड क्लॉट) बन जाता है। यह थक्का खून के प्रवाह को रोक सकता है और सूजन, दर्द या भारीपन का कारण बन सकता है। यदि यह थक्का खून के रास्ते फेफड़ों तक पहुंच जाए, तो वह वहां ब्लॉकेज कर सकता है, जिससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

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DVT के मुख्य लक्षण – इन्हें न करें नजरअंदाज

DVT के मुख्य लक्षणों में एक पैर में अचानक सूजन आना, बिछड़े (काफ) में दर्द या असहजता महसूस होना, त्वचा का रंग नीला, बैंगनी या लाल दिखना, प्रभावित जगह पर गर्माहट महसूस होना और नसों में खिंचाव, भारीपन या कसाव जैसे लक्षण शामिल हैं। यदि ये संकेत लगातार बने रहें तो इन्हें नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।

किन लोगों को DVT होने का ज्यादा खतरा होता है?

जो लोग लंबे समय तक एक ही पोजिशन में बैठते हैं, जैसे ऑफिस वर्कर्स या ट्रैवलर्स। जिनकी हाल ही में सर्जरी हुई हो, खासकर हड्डियों से जुड़ी। गर्भवती महिलाएं या जिनका हाल ही में प्रसव हुआ हो, कैंसर के मरीज। मोटापा, धूम्रपान, हार्मोन थैरेपी लेने वाले। जिनके परिवार में खून के थक्के बनने का इतिहास हो। ये सभी स्थितियां शरीर में खून के बहाव को धीमा कर सकती हैं, जिससे DVT का खतरा बढ़ता है।

DVT का पता कैसे लगाया जाता है?

अगर डॉक्टर को DVT का संदेह होता है, तो वह डॉपलर अल्ट्रासाउंड जैसे इमेजिंग टेस्ट कराते हैं, जिससे नसों में खून के प्रवाह को देखा जाता है। इसके अलावा D-Dimer टेस्ट और कुछ मामलों में वेनोग्राफी भी की जा सकती है।

DVT का इलाज कैसे होता है?

एंटीकोआगुलेंट दवाएं – ये दवाएं खून को पतला करती हैं जिससे थक्का और न बने।

कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स – ये पैरों में खून के प्रवाह को ठीक बनाए रखती हैं और सूजन कम करती हैं।

थ्रोम्बोलिटिक दवाएं – जब स्थिति गंभीर हो, तो ये दवाएं खून के थक्के को घोल देती हैं।

सर्जरी – कुछ मामलों में थक्का निकालने के लिए ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है।

समय पर इलाज न मिलने पर DVT से जान को खतरा हो सकता है।

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DVT से कैसे बचा जा सकता है?

हर घंटे में थोड़ा टहलें, खासकर यदि आप लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं

लंबी यात्रा के दौरान खूब पानी पिएं और पैरों को हिलाते रहें

स्मोकिंग छोड़ें और अपना वजन नियंत्रित रखें

सर्जरी या प्रसव के बाद डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह पालन करें

नियमित रूप से व्यायाम करें ताकि खून का बहाव ठीक बना रहे

DVT एक गंभीर लेकिन समय पर पहचान कर लेने योग्य बीमारी है। इसके लक्षणों को पहचानना और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना बहुत जरूरी है। थोड़ी सी सतर्कता से आप बड़ी परेशानी से बच सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। स्वयं उपचार न करें।
 
 

 

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