
नारी डेस्क: चंडीगढ़ की 16 वर्षीय छात्रा 'काफी' ने अपनी कड़ी मेहनत और साहस से एक नई प्रेरणा दी है। उन्होंने चंडीगढ़ के इंस्टीट्यूट फॉर द ब्लाइंड से 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 95.2% अंक प्राप्त कर स्कूल टॉप किया। यह उपलब्धि और भी प्रेरणादायक है, क्योंकि बचपन में वह एसिड अटैक का शिकार हो गई थीं और उनकी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई थी।
दर्दनाक घटना और संघर्ष
जब 'काफी' महज 3 साल की थीं, तो होली खेलते समय उनके गांव हिसार में तीन लोगों ने उन पर तेजाब फेंक दिया था। इस हमले में उनकी आंखों की रोशनी चली गई और वह अंधी हो गईं। उनके माता-पिता ने दिल्ली के एम्स समेत कई अस्पतालों में उनका इलाज कराया, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। इलाज में बहुत पैसा खर्च हुआ और परिवार की सारी जमा-पूंजी खत्म हो गई। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ के इंस्टीट्यूट फॉर द ब्लाइंड में दाखिला लिया, जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।
शिक्षा में उत्कृष्टता
'काफी' ने अपनी पढ़ाई के लिए ब्रेल लिपि, ऑडियो पुस्तकें और अन्य सहायक उपकरणों का इस्तेमाल किया। उन्होंने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में भी 95.2% अंक प्राप्त किए थे और अब 12वीं में भी शानदार प्रदर्शन किया। उनका सपना है कि वह यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बनें।
परिवार का समर्थन और संघर्ष
'काफी' के पिता, पवन कुमार, चंडीगढ़ सचिवालय में अनुबंध पर काम करते हैं। उन्होंने अपनी बेटी की शिक्षा के लिए काफी बलिदान दिए हैं। उनका कहना है कि 'काफी' के इलाज में बहुत पैसा खर्च हुआ, लेकिन हमलावरों को सिर्फ दो साल की सजा मिली, जो अब पूरी हो चुकी है। इस कारण परिवार को न्याय की कमी महसूस होती है, लेकिन 'काफी' ने अपनी मेहनत से इस कठिन संघर्ष को जीत लिया है।
'काफी' की सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो जीवन की कठिनाइयों के सामने हार मान लेते हैं। उनकी कहानी बताती है कि अगर हिम्मत और मेहनत हो तो कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है।