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Guru Gobind Singh Jayanti पर जानें उनके जीवन से जुड़ी 5 खास बातें

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 17 Jan, 2024 04:54 PM
Guru Gobind Singh Jayanti पर जानें उनके जीवन से जुड़ी 5 खास बातें

आज सिखों के लिए बहुत ही खुशियों का दिन है। सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी का आज 357 वां जन्मदिन है, जिसे प्रकाश पर्व के तौर पर मनाया जाता है। उनका जन्म पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर हुआ था, तभी हर साल इस दिन उनकी जंयती मनाई जाती है। इस दिन गुरुदारों में भव्य  आयोजन कराए जाते हैं। अरदास होती है और लंगर भी लगाए जाते हैं। आइए आज आपको इस पावन दिन पर बताते हैं गुरु गोबिंद सिंह जी की जिंदगी से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें....

गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पटना साहिब (बिहार) में हुआ था। उन्होंने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी। ये सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। गुरु गोबिंद सिंह ने ही गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया था। उन्होंने अपना पूरा जीवन मानव की सेवा करने और उन्हें सच्चाई का मार्ग दिखाने में लगा दी...

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पांच ककार

गुरु गोबिंद सिंह जी कई बार मुगलों से भी टकराए थे। सिखों को केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा धारण करने का आदेश गुरु गोबिंद सिंह ने ही दिया था। इन्हें 'पांच ककार' कहा जाता है। 

पटना साहिब गुरुद्वारा

गुरु गोबिंद सिंह के पास जो कुछ चीजें थी, जिनका वो इस्तेमाल किया करते थे, वो आज भी आप देख सकते हैं। वो अपने पास कंघा, कृपाण रखते थे और उनकी खड़ाऊ, ये सब पटना साहिब गुरुद्वारे, उनके जन्मस्थान में हैं।  उनकी मां जिस कुएं से पानी भरती थीं, वो भी वहीं मौजूद हैं।

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खालसा सैनिकों के नियम

गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा योद्धाओं के लिए कुछ विशेष नियम बनाए थे। उन्होंने तम्बाकू, शराब, हलाल मांस का त्याग और कर्तव्यों का पालन करते हुए निर्दोष और बेगुनाह लोगों को बचाने की बात कही थी।

अनेक भाषाओं का था ज्ञान

गुरु गोबिंद सिंह जी अपने ज्ञान और सैन्य ताकत के चलते काफी प्रसिद्ध थे। उनको पंजाबी के अलावा अरबी, संस्कृत और फारसी भाषा का ज्ञान था। धनुष- बाण, तलवार, भाला चलाने में उन्हें महारथ हासिल थी।

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संत सिपाही

गुरु गोबिंद सिंह जी विद्वानों की बहुत कदर करते थे। ये ही वजह है कि उन्हें संत सिपाही का नाम दिया गया था। उनके दरबार में हमेशा 52 कवियों और लेखकों की उपस्थिति रहती थी। गुरु गोबिंद सिंह स्वयं भी एक लेखक थे। अपने जीवन काल में उन्होंने कई ग्रंथों की रचना की थी। इनमें चंडी दी वार, जाप साहिब, खालसा महिमा, अकाल उस्तत, बचित्र नाटक और जफरनामा जैसे ग्रंथ शामिल हैं।

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