कोरोना वायरस की वजह से आम लोग हर दिन चिंता में रहते है इस वायरस ने लोगों को मानसिक तौर से ज्यादा परेशान किया है। रोजाना बढ़ते मामलों को देखते हुए इस वायरस का शोध जारी है। इसी बीच बेंगलुरू के एक डॉक्टर ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए दवा पर रिसर्च करने का दावा किया है। इस हालात में डॉक्टर्स का मानना है कि वह भारत के लिए प्रभावी इलाज ढूंढने में लगे है।
इस डॉक्टर की वीडियो ट्वीटर पर भी वायरल हो रही है और एक ऐंजसी ने भी डॉक्टर की वीडियो शेयर की जिसमें वह कहते दिखाई दे रहे है कि कोरोना वायरस के कारण जहां हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और वहीं ये अधिक असर भी वहीं डालता है ऐसे में हमारी बॉडी इंटरफेरॉन नही छोड़ पाती और ऐसे में हम ये कोशिश कर रहे हैं कि हम प्रीपिंट के जरिए कोशिश को मजबूत करें ताकि वो इंटरफेरॉन छोड़ सके और हम कोरोना को किल कर सकें।
हम अभी इसकी शुरुआती स्टेज पर हैं और इस हफ्ते के अंत तक कुछ ठोस परिणाम मिल सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसके रिव्यू के लिए हमने सरकार के पास भी आवेदन किया है।
बेंगलुरु के ऑन्कोलॉजिस्ट विशाल राव ने बताया, 'इंसानी शरीर की कोशिकाओं में वायरस से लड़ने की क्षमता होती है। कोशिकाओं में इंटरफेरॉन होते हैं जो वायरस से लड़ने में सहायक होते हैं। हालांकि जब मरीज कोविड-19 से संक्रमित होता है तो उसकी कोशिकाओं से ये इंटरफेरॉन नहीं निकल पाते, जिससे उसका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और वायरस का असर बढ़ता चला जाता है।'
वह आगे बताते है, 'हमारे शोध में हमने पाया है कि ये इंटरफेरॉन कोविड-19 से लड़ने में मददगार हैं। इसके लिए हमने साइटोकाइन्स का एक मिश्रण तैयार किया है जिसे कोविड-19 के मरीज के इलाज के लिए उसके शरीर में इंजेक्ट किया जा सकता है।'
उन्होंने कहा कि यह कोई वैक्सीन नहीं है और इससे कोविड-19 से संक्रमित होने से बचा नहीं जा सकता। इसका प्रयोग सिर्फ कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के इलाज में किया जा सकता है।