
मैथ्स एक ऐसा विषय है, जो बहुत कम लोगों को ही पसंद है। ये सब को समझ नहीं आता है। मैथ्स के सवाल इंसानों को उलझा कर रख देते हैं। लेकिन एक ऐसी हस्ती भी थी जिन्हें मैथ्स से प्यार था। उन्हें 'ह्यूमन कम्प्यूटर' के नाम से भी जाना जाता था। हम बात कर रहे हैं शकुंतला देवी की जो एक महान गणितज्ञ थीं। उनका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता था। आइए आपको बताते हैं शंकुतला देवी के बारे में.....
शकुंतला देवी को कैसे मिला 'ह्यूमन कंप्यूटर' का खिताब
वो इतनी स्मार्ट थी कि साल 1950 में बीबीसी लंदन के इंटरव्यू के दौरान जब उनसे गणित का एक मुश्किल सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कंप्यूटर कीू गलती निकालते हुए पूछे गए प्रश्न को ही गलत बताया। पहले तो इस बात पर किसी को भी यकीन नहीं था लेकिन जब बाद में उनकी बात सही साबित हुई तो उन्हें 'ह्यूमन कंप्यूटर' का टाइटल दे दिया गया था। वहीं अपने तेज दिमाग और जबरदस्त कैलकुलेशन तकनीक के चलते शंकुतला देवी का नाम 1982 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल किया गया है।

स्कूल नहीं गई शकुंतला
शकुंतला काफी गरीब परिवार से थीं । उनके पिता सर्कस में ट्रैपीज आर्टिस्ट थे। कमाई ज्यादा थी नहीं तो वो शंकुतला की 2 रूपए फीस भी नहीं भर सकते थे इसलिए वो स्कूल नहीं जा पाई। हालांकि अपने टैलेंट के दम पर उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी में अंकगणित क्षमताओं का बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया, जिसके बाद वह फेमस हो गई और लंदन में रहने लगी।

कैल्कुलेशन रोड शो से हुईं लोकप्रिय
महज 3 साल की उम्र में ही शकुंतला फटा-फट नंबर याद कर लेती थी। जब उनके पिता ने बेटी का टैलेंट देखा तो वह सर्कस की नौकरी छोड़ शकुंतला के साथ कैल्कुलेशन का रोड शो करने लगे।

इंदिरा गांधी के खिलाफ लड़ा था चुनाव
शंकुतला देवी इंदिरा गांधी को भी चेलैंज किया था। साल 1980 लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के साथ साउथ मुंबई और तेलंगाना चुनाव में खड़ी हुई थी। इसी सीट के लिए उस समय इंदिरा गांधी भी इसी सीट से चुनाव लड़ रही थी। अपने एक बयान में उन्होंने यहां तक कह डाला था कि वह लोगों को इंदिरा गांधी से बचाना चाहती हैं। हालांकि चुनाव में वह 9वें नंबर पर रही थीं।

समलैंगिकता पर भी लिखी किताब
साल 1977 में समलैंगिकता एक ऐसा विषय था, जिसपर कोई बात नहीं करना चाहता था पर शंकुलता ने उस दौर में भी उन्होंने समलैंगिकता पर एक विवादित किताब ‘वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्शुल्स' लिखी थी। इस पर कई लोगों ने उसकी आलोचना की तो कई लोग उनके पक्ष में खड़े थे।