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बिना खीरे के क्यों अधूरी मानी जाती है जन्माष्टमी की पूजा? जानिए

  • Edited By palak,
  • Updated: 31 Aug, 2023 05:37 PM
बिना खीरे के क्यों अधूरी मानी जाती है जन्माष्टमी की पूजा? जानिए

कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने धरती पर रहने वाले लोगों को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने के लिए श्रीकृष्ण के रुप में आठवां अवतार लिया था। इसलिए हर साल इस दिन जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था इसलिए जन्माष्टमी की पूजा रात में की जाती है। इस दिन श्रीकृष्ण का श्रृंगार, भोग के साथ पूजा में कई चीजें अर्पित की जाती है। श्रीकृष्ण की पूजा में खीरा भी जरुर इस्तेमाल होता है। मान्यताओं के अनुसार, खीरे के बिना जन्माष्टमी का त्योहार अधूरा माना जाता है। लेकिन खीरे का जन्माष्टमी की पूजा में इस्तेमाल क्यों होता है आज आपको इस बारे में बताएंगे। तो चलिए जानते हैं....

पूजा में क्यों इस्तेमाल होता है खीरा? 

जन्माष्टमी की पूजा में लोग श्रीकृष्ण को खीरा जरुर अर्पित करते हैं। जन्माष्टमी वाले दिन ऐसा खीरा भोग के रुप में इस्तेमाल होता है जिसमें थोड़ा डंठल और पत्तियां हो मान्यताओं के अनुसार, इससे श्रीकृष्ण खुश होते हैं और भक्तों के सारे दुख हर लेते हैं। 

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बिना खीरे के अधूरी होती है पूजा 

इस दिन खीरा का प्रयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि माना जाता है कि जब बच्चा पैदा होता है तो उसे मां से अलग करने के लिए गर्भनाल काटी जाती है वैसे ही जन्माष्टमी वाले दिन खीरे को डंठल को काटकर अलग किया जाता है। इसे भगवान श्रीकृष्ण को मां देवकी से अलग करने का प्रतीक माना जाता है ऐसा करने के बाद ही पूर विधि-विधान के साथ जन्माष्टमी की पूजा शुरु की जाती है। 

नाल छेदन के रुप में जाना जाता है यह रिवाज 

खीरे को काटने की इस प्रक्रिया को नाल छेदन कहते हैं। जन्माष्टमी के दिन पूजा के दौरान खीरे को भगवान श्रीकृष्ण के पास रख दें । इसके बाद जैसे ही रात में 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हो उसके तुरंत बाद सिक्के की सहायता से खीरा और डंठल बीच में से काटकर श्रीकृष्ण का जन्म करवाएं। फिर शंख बजाकर बाल गोपाल जी के आने की खुशियां मनाएं और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करें। 

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पूजा के बाद कैसे इस्तेमाल करें खीरा 

कान्हा का जन्म हो जाने के बाद ज्यादातर लोग खीरे को प्रसाद के तौर पर बांट देते हैं इसके अलावा कई जगहों पर इसे नई विवाह वाली लड़कियों और गर्भवती महिलाओं को खिलाया जाता है। माना जाता है कि इससे नई विवाह वाली लड़कियों या गर्भवती महिलाओं को खीरा खिलाने से उन्हें श्रीकृष्ण जैसे बेटे की प्राप्ति होती है।   

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