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क्यों सदियों से शिकार होती आ रही हैं नारियां?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 20 Oct, 2021 05:08 PM
क्यों सदियों से शिकार होती आ रही हैं नारियां?

हमारे देश में नौ दुर्गा की पूजा करते हैं। नौरात्रों में, बहुत सारे श्लोक, पाठ, जप और ना जाने कितने अनुष्ठान करते हैं। हम माता रानी को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं... सातवें नौरात्रे के दिन और अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने के बाद ही अन्न ग्रहण करने वालें देश में भी आए दिन छोटी छोटी लड़कियां हो, युवा स्त्री या वयस्क नारी सभी को शारीरिक और उससे भी ज्यादा मानसिक हनन किया जाता हैं। ये शारीरिक हमलों में वो भेड़ियों को क्या मिलता हैं वह तो वोही जाने किंतु उन नारियों को बच्चियों को उम्र भर के लिए तपिश, शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना ही मिलती हैं। वह भी उनकी एक गलती के लिए कि वह नारी हैं। क्यों गुनाह बना दिया नारियों के जन्म लेने की बात को? क्यों उसे भोगने की वस्तु बनाकर रख दिया हैं समाज में?

क्यों जोहर किया राजपुतानियों ने?

अगर नारी नहीं होती तो पृथ्वी बेरंगी हो जाती,प्यार और परवाह का अस्तित्व ही नहीं होता। करुणा की मूर्तियों को रौंद दिया जाता रहा हैं सदियों से। क्यों किया केसरिया राजपूत रण बांकुरों ने? अपनी और अपनी पत्नियों के सम्मान के लिए अपनी जान देनी पड़ी हैं, इसका गवाह इतिहास हैं।

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फिर भी देनी पड़ी थी अग्निपरीक्षा

सीता माता को भी अपना शील बचाने के लिए तृण का सहारा लेना पड़ा। वह रावण शरीफ नहीं था कि माता सुरक्षित रही। वह तो सीता मां का सांच था, सती थी वह  इसलिए एक तृण के सहारे उस राक्षस से बची रही। रामायण तो पढ़ी गई और सभी ने जाना अग्निपरीक्षा के बारे में लेकिन ऐसी अनगिनत नारियां हैं जो अग्निपरीक्षा से भी ज्यादा परीक्षाएं देती रही उम्रभर, समाज और जात बिरादरी में, जिसे कभी किसी ने जाना ही नहीं। ये सब बात करें तब निर्भया के किस्से को भुलाया नहीं जाता।

हर देश का यही हाल

ये हाल अपने देश में ही नहीं हैं विकसित देशों में भी देखने को मिलता हैं। शायद अपने देश में नरपिचाशों को कोई भी नागरिक बक्शेगा नहीं, न ही कोई तमाशा देखेंगे जैसे चलती ट्रेन में महिला के साथ वो सबकुछ होता रहा जो एक जाहेर जगह पर नहीं होना चाहिए था। जो यूएसए के फिलाडेल्फिया में 13 अक्टूबर के दिन हुआ  हुआ। एक महिला अपने काम से घर वापस जाने के लिए रात 10 बजे ट्रेन में बैठी। कुछ देर बाद एक 35 साल की उम्र का आदमी आया और उसकी बगल में बैठ गया और उस के साथ छेड़ छाड़ करता रहा। वहां ट्रेन में वह अकेली नहीं थी लेकिन किसी ने मदद न कर सिर्फ देखते रहें। उनसे तो सिर्फ हेल्प लाइन पर तीन नंबर  लगा ने की मदद ही मांगी थी लेकिन किसी ने भी नहीं फोन किया। जब कि महिला सब को पुकार पुकार कर फोन करने के लिए कह रही थी। 8 मिनट तक वह उससे खिलवाड़ करता रहा और बाद में बलात्कार किया। वहां बैठे सभी संवेदना हीं मूरत से देखते रहे या वीडियो और फोटो लेते रहे किंतु महिला की मदद के लिए कोई भी आगे नहीं आया और बेचारी महिला अपनी इज्जत गवां कर बेइज्जती, डर और क्षोभ की मारी ग्लानि से भरी बैठी थी। वह भी अमेरिका जैसे देश में जो अपनी प्रजा के हक और नारी जागृति के लिए बहुत ही एडवांस गिना जाता हैं।

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कानून व्यवस्था और सुरक्षा के मामलों में बहुत ही जागरूक होने का दावा करने वाले देश में ऐसी घटना का होना बहुत ही आश्चर्यजनक हैं। आरोपी गिरफ्तार तो हो गया उसे सजा भी हो जाएगी लेकिन बड़ा प्रश्न यह हैं कि क्यों किसी ने मदद नहीं की? अगर ये अपने देश में होता तो यह तय हैं कि उस बंदे का न्याय वहीं पर हो जाता। कूट के रख देते हमारे देश के लोग जो वहां हाजिर होते। हमारे देश में अगर रास्ते पर गड्ढा भी हो जाता हैं तो हम प्रशासन की और नहीं देखते। वहां कोई पेड़ की टहनी या बड़ी-सी लकड़ी रख कर चिन्हित कर दिया जाता हैं कि यह गड्ढा हैं। ऐसे लोग पुलिस की प्रतीक्षा नहीं... वहीं महिला की छेड़ छाड़ करने वाले की धुलाई कर देते। 

हम मजबूर जरूर हैं लेकिन साथ में मजबूत भी हैं। ये एक विकसित माने जाने वाले देश की बात हैं। जो साक्ष्य बने रहे उनका भी गुनाह माफ करने योग्य नहीं हैं। उन पर भी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए। जब हमारे देश में ऐसे किस्से होते हैं तब हमे विकासशील देश कह कर जिल्लते भेजी जाती हैं। अब ये विकसित देश की नामोशी भरी घटना क्या बताती हैं। ये वही देश हैं जो अपने देश में स्त्री स्वातंत्र्य की डींगे मारा करते हैं। अपने देश को कानूनी रूप से मजबूत बताया जाता हैं। वही देश में संवेदना हीन  मुसाफिर देखते रहें और एक महिला की इज्जत लूटी गई।

ये एक गलतफहमी ही साबित हुई कि पश्चिमी देशों में सब सलामत हैं। वहां महिलाएं ज्यादा सुरक्षित हैं क्योंकि वहां फ्रीडम ज्यादा हैं। यूएसए में 2019 में हुए सर्वे के अनुसार उनकी 33 करोड़ की आबादी में 1 लाख 43 हजार बलात्कार की घटनाएं हुई हैं, जो प्रति 1 लाख 43 बलात्कार हुए। जो अपने देश में स्त्रियों को समान हक का दावा करने वालें स्वीडन में भी यूएसए से भी ज्यादा, प्रति 1 लाख 85 मामले दर्ज हुए हैं और भारत में हुए 2019 के सर्वे के मुताबिक 32 हजार मामले दाखिल हुए जबकि हमारी जनसंख्या के हिसाब से प्रति 1 लाख सिर्फ 2 मामले बनते हैं को इन देशों से काफी कम हैं। अब कहो मेरा भारत महान।

एक कहावत हैं "गरीब की जोरू सारे गांव की भौजाई" क्या दुनियां हमारे साथ ये व्यवहार नहीं कर रही????

जयश्री बिरमी (अहमदाबाद)

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