बधाई हो फिल्म की दादी मां सुरेखा सीकरी को भला कौन नहीं जानता है। बालिका वधू से दुनिया में अपना नाम उजागर करने वाली सुरेखा सीकरी आज घर-घर में सबकी चाहिती है। वैसे तो उन्होंने अपनी एक्टिंग से हमेशा सबका दिल जीता है। मगर सुरेखा सीकरी हमेशा से एक्ट्रेस नहीं बल्कि पत्रकार बनना चाहती थी। वो अभिनेत्री बस इत्तेफाक से ही बन गई। आइए आपको बताते है सुरेखा सीकरी की जिंदगी की दास्तां।
पत्रकार बनना था सुरेखा का सपना
हमेशा से ही वो पढ़ाई में काफी तेज थी। उन्होंने सोच लिया था कि वो पत्रकार या लेखक ही बनेंगी। अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी की छात्रा सुरेखा के लिए किस्मत ने कुछ अलग लिखा था। एक बार वो 'द किंग लियर' नाटक देखने पहुंची। वो उस नाटक से इतनी इंस्पायर हुई कि उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एड्मिशन भी ले लिया।
सीरियल से लेकर फिल्मों में कमाया अपना नाम
सुरेखा पहले नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में ही काम करती थी। फिर उन्होंने अपने अभिनय से सबका दिल जीतने का सोचा। वो सीरियल बनेगी अपनी बात, परदेस में है मेरा दिल, एक था राजा एक थी रानी, केसर, कभी कभी और जस्ट मोहब्बत का हिस्सा रही है। यही-नहीं उन्होंने तमस, सलीम लंगड़े पर मत रो, लिटिल बुद्धा, सरफरोश, जुबीदा, काली सलवार, रेनकोट, तुमसा नहीं देखा, हमको दीवाना कर गए, डेव डी, गोस्ट स्टोरीज में सबको इम्प्रेस कर गई। मगर बधाई हो और बालिका वधू आज भी उनके नाम से जाना-जाता है।