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"शादीशुदा को अबॉर्शन करवाने का अधिकार है तो अविवाहित महिला को क्यों नहीं? "

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 27 Aug, 2022 01:04 PM

सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं के गर्भपात पर सकारात्मक रुख दिखाया है। कोर्ट का कहना है गर्भपात कानून के तहत विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच किसी भी तरीके का भेदभाव नहीं होना चाहिए। अविवाहित महिला का गर्भपात कराने के नियम क्या होंगे, इसे लेकर जल्द ही गाइडलाइन जारी की जाएगी। 


जल्द जारी हो सकती है गाइडलाइन

दरअसल सुप्रीम कोर्ट मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 (अधिनियम) की धारा 3 (2) (बी) के लाभ को अविवाहित महिलाओं तक पहुंचाने के तरीके तलाश रहा है, ताकि वे भी गर्भपात की मांग कर सकें।  जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्दीवाला की बेंच ने इस मामले में कहा ये बिल्कुल तार्किक नहीं है कि MTP ऐक्ट के तहत एक विवाहित महिला को अबॉर्शन करने की अनुमति दी जाए और अविवाहित महिला को इनकार कर दिया जाए. जब दोनों के लिए जोख़िम एक बराबर ही है।

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सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल 

बेंच ने यह भी कहा कि "अगर एक शादीशुदा महिला को मानसिक पीड़ा और ऐसे और कारणों के आधार पर 24 हफ़्तों के अंदर गर्भपात करवाने का अधिकार है, तो एक ग़ैर-शादीशुदा महिला को क्यों नहीं? दोनों को बराबर ख़तरा हो सकता है, ये कोई तार्किक बात नहीं है। याचिकाकर्ता महिला अनचाहे गर्भधारण से परेशान है और यह कानून की भावना के खिलाफ है"। 

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क्या है मामला 

दरअसल, एक अविवाहित महिला ने कोर्ट में 24 सप्ताह के गर्भ को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। हालांकि हाई कोर्ट की बेंच ने  महिला को ये कहते हुए मना कर दिया कि उन्हें अपनी प्रेग्नेंसी पूरी करनी चाहिए और बच्चे के जन्म के बाद उसे गोद लेने के लिए दे देना चाहिए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केवल इसलिए कि एक महिला अविवाहित है, उसे अबॉर्शन के हक़ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया था। 

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क्या है गर्भवात कानून


1971 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी एक्ट बनाया गया, इसमें 2021 में संशोधन किया गया और गर्भपात करवाने की मान्य अवधि को कुछ विशेष परिस्थितियों के लिए 20 हफ़्ते से बढ़ाकर 24 हफ़्ते कर दिया गया।  पुराने एक्ट में ये प्रावधान था कि अगर किसी महिला को 12 हफ़्ते का गर्भ है तो वो एक डॉक्टर की सलाह पर गर्भपात करवा सकती है। वहीं 12-20 हफ़्ते में गर्भपात करवाने के लिए दो डॉक्टरों की सलाह अनिवार्य थी। इसके अलावा अगर भ्रूण 20-24 हफ़्ते का है, तो इसमें कुछ श्रेणी की महिलाओं को दो डॉक्टरों की सलाह लेने के बाद ही इजाज़त दी जाएगी। 
 

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